इंडिपेंडेंस डे (स्वतंत्रता दिवस) का दिन था और एक छुट्टी बीत गई। यही न! हम लोग तो छुट्टी मनाते हैं। इंडिपेंडेंस डे तो स्कूल के दिनों में होता था। अब तो लोग हर जगह चाहे ऑफिस में काम करने वाले लोग हों या एफएम रेडियो वाले, सब लॉन्ग वीकेंड की चर्चा कर रहे थे। छुट्टियां शुरू होने से पहले सब तो इसी में बिज़ी थे कि छुट्टियों में कहां जाएं। रेडियो वाले भी लंबी छुट्टी बिताने के नये-नये आइडिया दे रहे थे। ख़ैर सब की अपनी-अपनी ज़िंदगी है हम कौन होते हैं हीरो बनने वाले। हम तो भगत सिंह के फोटो वाला टी-शर्ट पहन के ही खुश हो लिए।
लेकिन इन सब के बीच रेडियो मिर्ची वालों ने एक बहुत मस्त वीडियो बनाया। जो देखा तो मन अंदर तक खुश हो गया। रेडियो मिर्ची में ही हैं एक आरजे, नाम है नावेद। अगर दिल्ली या इसके आस-पास रहते होंगे तो इस नाम को जानते ही होंगे।
वीडियो में कुछ बड़े-बड़े ज्ञान वाली बात नहीं है। सिर्फ़ हमारे हिन्दुस्तान के लोग कैसे हैं, ये दिखा है। और हम असल में क्या हैं, लेकिन नेताओं के भाषणों के बीच क्या हो जाते हैं ये बताया है। पहले वीडियो देखिए, पूरी वीडियो देखिएगा। मन ख़ुशी से झूम जाएगा।
वीडियो में एक जगह दिखा था, याद है। वो मुसलमान आदमी एक बड़े दरवाज़े के सामने खड़ा है। जहां एक खिड़की पर दो लोग बैठे हैं। देखा था कैसे उसे धक्के मार के वहां से भगा देते हैं। 'चल निकल बे तू यहां खड़े होने लायक भी नहीं है!' वो जो जगह है न वो हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया के दरगाह के ठीक बाहर है, जहां कुछ और लोगों का मज़ार बना हुआ है।
आप अगर जाएंगे और देखेंगे न तो वो पूरा इलाका सिर्फ़ और सिर्फ़ मुसलामानों से भरा हुआ है। जैसा हम सोचते हैं अगर वैसा होता तो वो उस आदमी को गले लगा लेते। लेकिन उन्होंने उसे धक्के मार के वहां से निकाल दिया।
ठीक ऐसा ही होता है, कालका जी के पास। वो हिंदु दुकानदार उसे सामान देने से मना कर देता है। क्यों? वो आदमी तो हिंदूओं के पक्ष में बात कर रहा था। फिर? अरे यही तो बात है जो हमें जाननी है, पहचाननी है, कौन क्या है! देशभक्त होना देशभक्ति की बातें करना गलत नहीं है। लेकिन देशभक्ति किस बला का नाम है ये तो जान लो!