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अक्सर दूसरे देशों में बसे भारतीय विदेशियों पर सौतेला व्यवहार का आरोप लगाते हैं। लेकिन हमारे देश में भी रंगभेद का इतिहास कोई नया नही है। सिर्फ़ भारत के लोग ही नहीं बल्कि विदेशों से आने लोगों को भी भारत में रगभेद का शिकार होना पड़ता है। खास तौर से अफ़्रीकियों के शरीर, रंग और कद को भारत में हीन दृष्टी से देखा जाता है। ये जानकर आपको शर्म आ जाएगी कि भारत में अफ़्रीकियों के साथ कैसा व्यवहार हो रहा है।
कर्नाटक के येल्लापुर के नज़दीक कारवार गांव में रहने वाले सिद्दी समुदाय लंबे समय से India’s African Community के सदस्य हैं। पूर्वी अफ़्रीकी समुदाय के सिद्दियों को 15वीं से 19वीं शताब्दी के बीच पुर्तगाली आपना दास बनाकर लाए थे। तभी से ये समुदाय भारत में बस गया।
ये समुदाय कभी को ओलंपिक में जिता सकता था। भारत ने 1900 तक ट्रेक और फिल्ड में एक भी ओलंपिक मेडल नहीं जीता था। इस क्षेत्र में भारत को मेडल दिलाने के लिए Sports Authority of India के लोग टैलेंट की तलाश में 1980 में कर्नाटक के कारवार गांव पहुंचे, जहां सिद्दी अफ़्रीकी को Special Area Game Project की शुरुआत के तहत बच्चों को दौड़ने, कूदने और थ्रो का प्रशिक्षण दिया जाने लगा।
इस समुदाय के कुछ बच्चों ने भारत के लिए राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर मेडल्स भी जीते, पर जल्द ही बिना चेतावनी के Special Area Game Project को बंद कर दिया गया और इन बच्चों के सपने धरे के धरे रह गए। '101 India' समूह ने लोगों और सरकार की आंखे खोलने का प्रयास किया है।
https://youtu.be/ped-uIlw_24