कलर्स टीवी पर एक शो आता था। अनुपम खेर उसको होस्ट करते थे। बहुत ही प्यारा शो था। हां, पंच लाइन थोड़ी घिसी पिटी थी। हर कोई जानता ये बात। ज़िन्दगी में कुछ भी हो सकता है। झटके में अमीर फ़कीर बन सकता है। फ़कीर कुबेर बन जाए। कहीं भूकंप आ जाए तो अभी हो सकता है। ये स्टोरी लिखते-लिखते निपट जाएं। खैर ऐसा नहीं होना चाहिए। भरोसा है मुझे। हां, हम थे कहां कि ज़िंदगी में कुछ भी हो सकता है।
ऐसा ही एक वीडियो दिखा। लगा दिखाना चाहिए। वजह ये नहीं कि ये एक बड़ा ही मजेदार सा दिखने वाला वीडियो है। बल्कि वज़ह ये कि ये वीडियो अपने-आप में बहुत कुछ सीखने-सीखाने वाला है।इस जिराफ की जगह पर खुद को रख के देखिए। अगर ये जिराफ़ हिम्मत दिखाने में जरा सी कोताही करता। तो अभी ये वीडियो हम या तो नहीं देख रहे होते। या फिर इस वीडियो का अंत कुछ और होता। शायद यहां सब कुछ खूनम-खून होता। लेकिन इस जिराफ़ को पता लग गया था शायद कि ये मेरी ज़िंदगी का आख़िरी मौक़ा है। मान लेना चाहिए और हिम्मत दिखा देनी चाहिए। और उसने दिखा दी और तस्वीर बदल गई।
शेरनी आई, भागी, कूदी। सीधे गर्दन पर। जिराफ़ के दौड़ने की स्पीड और इसके अपने मूवमेंट की वज़ह से शायद। छलांग सटीक नहीं हो पाया। और इसके बाद जिराफ़ ने जो कूद के दू लत्ती लगाई। आए, हाए, हाए, हाए। कसम से ज़िदंगीभर कभी जिराफ़ का शिकार नहीं करेंगी शेरनी जी।