जब भी हम चिड़ियाघर घूमने जाते हैं तो हमें वहां चार पैरों वाले जानवरों से ज्यादा 2 पैरों वाले जानवर देखने को मिलते हैं। हुक्कू बंदर के पिंजड़े के बाहर ये बात साफ-साफ लिखी होती है कि कृपया इस पिंजड़े के आस-पास शोर न मचाएं लेकिन लोगों के समझ में कहां आने वाला है। लोग वहां जाते ही हुक्कू बंदर की आवाज निकालने लगते हैं और तब तक नहीं मानते जब तक हुक्कू बंदर खुद न बोलने लगे। एक शहर के चिड़ियाघर में तो लोगों के परेशान करने की वजह से एक बंदर की मौत भी हो गई थी।
यही हाल शेर और बाघ के पिंजड़े का भी है। उसके बाहर लोग खुद को जंगल के किसी राजा से कम नहीं समझते। वहां जाकर एक से एक हरकतें करते हैं और सोचते हैं कि बस किसी तरह एक बार शेर दहाड़ मार दे। कुछ लोग उनकी तरफ पत्थर फेंकने लगते हैं। लखनऊ चिड़ियाघर में एक व्यक्ति गेंडे के बाड़े में अपनी पतंग लेने चला गया था। और उसके बाद क्या हुआ होगा ये बताने की जरूरत नहीं है।
थोड़ी ही देर में वहां एक तेंदुआ आ गया
ऐसा ही एक वाकया और है जब जंगल के बीच एक लड़की तेंदुओं के झुंड के बीच जा फंसी। वो एक बाइक पर वहां पहुंची थी। थोड़ी ही देर में वहां एक तेंदुआ आ गया और उसके ऊपर लपक पड़ा। उसने निडरता से उसको खुद से दूर भगा दिया। लेकिन मुसीबत अभी टली नहीं थी। देखते ही देखते वहां तेंदुओं का झुंड बढ़ता गया। सभी ने मिलकर उस लड़की पर हमला करने की कोशिश की लेकिन वो नहीं डरी। वो अपनी बाइक के पास पहुंची और उसने सारे तेंदुओं को भगा दिया।
इसे कहते हैं निडरता, चिड़ियाघर में पिंजड़े के बाहर खड़े होकर बेवकूफी की हरकतें करना बहुत आसान है लेकिन जब मुसीबत सामने आती है तो सबकी आंखों के सामने अंधेरा छा जाता है। आप भी देखिए कि कैसे इस लड़की ने इन खतरनाक जानवरों का सामना किया...
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थोड़ी ही देर में वहां एक तेंदुआ आ गया
जब जंगल के बीच एक लड़की तेंदुओं के झुंड के बीच जा फंसी। वो एक बाइक पर वहां पहुंची थी। थोड़ी ही देर में वहां एक तेंदुआ आ गया...