कॉन्सटेबल का बेटा बन गया आईपीएस, फख्र से बोला बाप- 'जो खुद न बन सका वो बेटे को बना दिया'
फीचर टीम, अमर उजाला
Updated Tue, 30 Oct 2018 09:50 AM IST
एक पिता की अपनी औलाद से यही उम्मीद होती है कि वह जीवन में ऊंचे मुकाम हासिल करे जो कि वह खुद न बन सका हो। हर पिता का सिर फख्र से तब ही ऊंचा हो पाता है। उसका सपना होता है कि जो खुद न बन सका वो बेटे को बना दे। अब इस बाप बेटे को ही ले लो। पिता ने कभी जवानी में चाहा था कि वह आईपीएस बने लेकिन उनका सपना अधूरा रह गया। मगर फिर बेटे ने उनके इस सपने को साकार कर दिखाया। जी हां, लखनऊ के विभूति खंड थाने में तैनात सिपाही जनार्दन सिंह अब अपने ही आइपीएस बेटे के मातहत के रूप में काम करेंगे। इस बात का उन्हें फख्र महसूस होता है।
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक उन्नाव से तबादले पर लखनऊ के एएसपी बनाए गए आइपीएस अनूप सिंह के पिता जनार्दन इसी क्षेत्र के थाना विभूतिखंड में दीवान के पद पर तैनात हैं। उनके लिए बेटे के मातहत काम करने में कितना असहज होगा, इस पर जनार्दन कहते हैं कि वह ऑन ड्यूटी अपने बेटे को अफसर के रूप में ही देखेंगे और कप्तान को सैल्यूट करेंगे।
उधर, आइपीएस अनूप सिंह का कहना है कि वे अपने पिता का सम्मान करते हैं। घर पर वह अपने पिता के पैर छूकर आशीर्वाद लेंगे, मगर फर्ज निभाने के दौरान प्रोटोकॉल के तहत ही काम करेंगे। जनार्दन ने बताया कि बेटा बहुत ही सख्त और ईमानदार है। उधर बेटे की राय अलग ही है। आइपीएस अनूप सिंह बताते हैं कि उन्होंने फर्ज और संस्कार अपने पिता से ही सीखे हैं।
बता दें, जनार्दन सिंह मूल रूप से बस्ती के नगर थाना क्षेत्र के पिपरा गौतम गांव के रहने वाले हैं। नौकरी के सिलसिले में उन्हें और उनके परिवार को बार-बार जिले बदलने पड़े हैं। बेटे की प्रारंभिक शिक्षा बाराबंकी से हुई है। ग्रेजुएशन इलाहाबाद विश्वविद्यालय से किया था, व पीजी जेएनयू से।
सिविल सर्विसेज की तैयारी की और पहली बार में ही सफलता हासिल कर ली। बेटा आइपीएस बन गया। जनार्दन सिंह के मुताबिक जेएनयू विवि में अच्छे अंक पाने पर बेटे को स्कॉलरशिप मिलती थी। अपने सीमित खर्च के चलते मना करने के बाद भी वह स्कॉलरशिप के रुपये भी घर भेज दिया करता था।