Home Bollywood Movie Review Of Film Babumoshai Bandookbaaz Starrer By Nawazuddin Siddiqui

'बाबूमोशाय बंदूकबाज' की बंदूक कितनी निशाने पर, पढ़ें रिव्यू

Updated Fri, 25 Aug 2017 05:28 PM IST
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Movie Review of Film Babumoshai Bandookbaaz Starrer by Nawazuddin Siddiqui
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विस्तार

हमारी तरफ से फिल्म को 2.5 स्टार
फिल्म की कहानी शुरू होती है एक गांव टाइप शहर में, यहां शौचालय नहीं है… एक क्रिमनिल जो एक आदमी को टपकाने के लिए 20 हजार रुपये लेता है, जिसके पास घर है (टूटा-फूटा), मोटर साइकिल (बुलेट इलेक्ट्रिक वाली) है, एक जीप भी है लेकिन शौच के लिए वो साहब खेत में गॉगल पहन कर जाते हैं।किसी किरदार को बारीकी से पकड़ने में माहिर नवाजुद्दीन सिद्दकी इस बार भी फिल्म के कैरेक्टर में अंदर तक घुस गए हैं, एक्टिंग के नाम पर लगभग सभी ने अच्छा प्रयास किया है लेकिन फिर भी कहानी को दिए हैं 2.5 स्टार, क्योंकि कहानी की कसावट मिसिंग दिखी। 

कहानी: बाबू (नवाजुद्दीन सिद्दीकी) एक क्रिमिनल हैं जो सिर्फ 15 हजार के लिए किसी को भी बिंदास गोली मार देता हैं। इलाके के रसूखदार लोग उसका इस्तेमाल अपने-अपने हिसाब से करते हैं। ड्यूटी के दौरान (मतलब की मर्डर करने के वक्त) बाबू की मुलाकात फूलवा (बिदिता बैग) से होती है, प्यार होता है और फिर सेक्स भी.... बाबू भाई लोगों का कत्ल करके अपनी रोजी रोटी चला रहे होते हैं कि तभी कहानी में बांके बिहारी (ताहिर भसीन) की एंट्री होती है। जो बाबू को अपना गुरू मानता है लेकिन कॉम्पीटशन भी रखता है। यहीं से कहानी एक नया मोड़ लेती है…  

पॉजीटिव प्वाइंट: फिल्म की लोकेशन पर काफी काम किया गया है।सिचुएशन के हिसाब से लोकेशन काफी सूट कर रही है। एक्टिंग में सबने अच्छा काम किया है। फिल्म में नवाजुद्दीन, बिदिता बैग और ताहिर के अलावा…  दिव्या दत्ता और मुरली शर्मा भी है। थियेटर के कई आर्टिस्ट इस फिल्म में दिख जाएंगे। इसलिए ये फिल्म एक्टिंग के मामले में ये आपको निराश नहीं करेगी। डायलॉग में गालियों को खूब एडजस्ट किया गया है इसलिए हिंदी भाषी राज्यों के लोग इस फिल्म को दिलचस्पी के साथ देखेंगे। 

निगेटिव प्वाइंट: फिल्म की कहानी और बढ़िया होने की गुंजाइश आपको कई जगह महसूस हो जाएगी। फिल्म के सीन अच्छे थे लेकिन एक दूसरे से जबरन जोड़े हुए दिखाए जा रहे थे। शासन प्रशासन को बिल्कुल बौना और गुंडों को बहुत बड़ा दिखाया गया है। फिल्म में पुलिस पिटने और नेता मरने के लिए दिखाए गए हैं। फिल्म के कई सेक्स सीन आपको कहानी में जबरन ठूंसे हुए लगेंगे। 

पूरी फिल्म में दो-तीन किरदारों को छोड़कर सब सेक्स के भूखे और झूठे दिखाए गए हैं। फिल्मों और कहानियों में ऐसा चलता है लेकिन रियलिस्टिक फिल्मों में ऐसे सीन पचाने में थोड़ी दिक्कत होती है।

गालिब असद भोपाली ने कहानी अच्छी लिखी है लेकिन वो कहानी के किरदारों को आपस में जोड़ने में थोड़े से कमजोर पड़ गए। डायरेक्टर कुशन नंदी ने अपना काम बखूबी किया है। अच्छा होने की गुंजाईश तो सब जगह रहती है, इस लेख में भी है… फिल्म के लिए अगर आप 200 से 250 रुपये खर्च करते हैं तो आपको अफसोस नहीं होगा… बस इस बात का ध्यान रखें फिल्म को ए सर्टिफिकेट दिया गया है तो परिवार और बच्चों के साथ न जाएं।


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