विस्तार
पाकिस्तान। वो देश जो 15 अगस्त 1947 से पहले हिंदुस्तान का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन 14 अगस्त की रात कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरा इतिहास बदल दिया। वो लाहौर जो कल तक हिंदुस्तान का इतिहास लिखा करता था। उस रात के बाद जैसे सब कुछ बदल गया।
अभी पिछले कुछ समय से हमारे देश में पाकिस्तान के खिलाफ एक माहौल बन रखा है। जो कि पिछले कुछ दिनों में हुई घटनाओं के हिसाब से लाज़मी है। उससे शिकायत भी नहीं है। लेकिन पाकिस्तान का एक हिस्सा वो भी है, जिसके साथ पाकिस्तान खुद नाइंसाफी कर रहा है। और इसके बारे में हम सभी को मतलब पूरी दुनिया को चर्चा करने की जरूरत है। आप मानें या ना मानें। वो हैं वहां के बच्चे।
आप थोड़ी देर के लिए ही सही। जिस देशभक्ति में आप नहाए हुए हैं। उससे एक बार बाहर निकलिए। एक देशभक्त होना गलत बात नहीं है। बिलकुल भी नहीं। उसका सम्मान भी करते हैं।
लेकिन जब मैं इन बच्चों की बात करने के बारे में कहता हूं, तो मैं उन्हें इंडिया और पाकिस्तान से अलग इस दुनिया को एक गोले के हिसाब से देखता हूं। वो बच्चे ही इन आतंकवादियों के सबसे बड़े दुश्मन बने हुए हैं। जो उनसे बर्दाश्त नहीं हो रहा। उम्मीद है आप भी इसे वैसे ही देखने की कोशिश करेंगे।
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क्या हो रहा है पाकिस्तान में बच्चों के साथ...?
आपके दिमाग में जब पाकिस्तान का ख्याल आता है तो आप एक ही चीज़ देख पाते हैं। वो है आतंकवाद। इसके आगे ना आप देखना चाहते हैं और अगर चाहते हैं तो आपको देखने को नहीं मिलता। पाकिस्तान में आतंकवाद एक बड़ी मुश्किल है। लेकिन वहां के बच्चों के लिए दो और भी बेहद बड़ी मुश्किलात हैं। वो है वहां की शिक्षा व्यवस्था और दूसरी बच्चों के साथ होने वाली रेप की घटनाएं। और ये बेहद ही अजीब है।
आतंकवाद और पाकिस्तान के बच्चे:
पाकिस्तान के बच्चे वहां के आतंकवादियों के सबसे आसान निशाने बने हुए हैं। वहां या तो बच्चे सड़क पर पड़े किसी चौराहे पर रखे बम का शिकार हो रहे हैं। या फिर पेशावर जैसी घटना के शिकार हो रहे हैं। पेशावर के स्कूल में जिस तरह से घुस कर वहां बच्चों को गोलियों से भून दिया गया था। वो पाकिस्तान हो या कोई और दुश्मन देश फिर भी बर्दाश्त नहीं होती। आप सोचिए कैसे एक छोटे से बच्चे को पॉइंट ब्लेंक रेंज पर गोली मार दी गई होगी।
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खौला बीबी, मात्र 6 साल की थी। वो पहले दिन स्कूल पहुंचती है। और फिर उसके स्कूल का दूसरा दिन कभी नहीं आया।
उसे पॉइंट ब्लेंक रेंज से गोली मारी गई थी। समझते हैं, पॉइंट ब्लेंक रेंज का मतलब? आपके सीने में बंदूक चिपका कर गोली मार दी जाती है। और वो गोली आपको चीरते हुए निकल जाती है।
और ऐसे ही दूसरे 132 बच्चों को पेशावर के स्कूल में गोली मार दिया गया था। एक रिसर्च के मुताबिक़ पाकिस्तान में 2001 के बाद से अब तक 50,000 से ज्यादा लोग आतंकवादी घटनाओं में मारे गए हैं। और इनमें ज्यदातर बच्चे हैं।
बच्चों की दुश्मन वहां की शिक्षा व्यवस्था:
पाकिस्तान की शिक्षा व्यवस्था वहां की दूसरी सबसे बड़ी प्रॉब्लम बनी हुई है। इस पाकिस्तान में बच्चे होना भी आसान बात नहीं है। अगर आप एक पाकिस्तानी बच्चे हैं तो मैं आपका दर्द समझ सकता हूं।
आप एक बच्चे के तौर पर क्या ही कर सकते हैं। या तो आप मलाला युसुफजई की तरह बेहतर शिक्षा व्यवस्था के लिए लड़ाई लड़ सकते हैं। जिसके बाद आपको गोली मार दी जाएगी। लेकिन हर कोई मलाला की तरह लकी नहीं होता। बच्चे सरे बाज़ार मार दिए जाते हैं।
या फिर वो इस्लामिक पढ़ाई जो आपको वहां की सरकार दे रही है। वो लेते रहिये। सीखते रहिये जिहाद। आप इसे चाहें या ना चाहें। वहां की किताबें पढ़िए जिसमें जान बूझ कर बच्चों के दिमाग में अनाप-सनाप बातें भरी जा रही हैं। उन्हें जिहादी होने और कुर्बानी देने की बातें सिखाई जा रही हैं।
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इस वक़्त पाकिस्तान अपने आप में एक ऐसी मोड़ पर खड़ा है। जो खुद की बर्बादी की तैयारी में लगा है। एक वो बच्चे हैं जो दुनिया को आगे बढ़ते देख रहे हैं। और खुद भी आगे बढ़ना चाह रहे हैं। लेकिन उसी वक़्त वहां के पिछड़ी सोच वाले लोग हैं। जिन्हें ये सब विदेशी पढ़ाई और विज्ञान की बातें सब नापाक लगती हैं। जिससे वो बच्चे मजबूरन कुछ नहीं कर पा रहे। या फिर बर्बाद हो रहे हैं।
इंडियाटाइम्स में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ जनवरी में पाकिस्तान के पंजाब प्रान्त से एक खबर आई। जहां 15 साल के एक बच्चे ने अपना हाथ काट लिया। सिर्फ ये बताने के लिए कि वो अपने धर्म के प्रति कितना वफादार है। हुआ ये था कि पैगम्बर मोहमम्द का जन्मदिन मनाया जा रहा था।
उस मस्जिद के मौलबी ने वहां पर मौजूद बच्चों से पूछा तुम में से कितने पैगम्बर साहब के अनुयायी हो। बच्चों ने हाथ उठा दिया। अगला सवाल था, तुम में से कितने बच्चे पैगम्बर साहब के दिए ज्ञान को नहीं मानते? एक बच्चे ने गलती से हाथ उठा दिया। जिसके बाद मौलबी ने वहां मौजूद लोगों के सामने उसे धर्म के विरुद्ध या यों कह लें इश्वर की निंदा करने वाला बता दिया।
इसके तुरंत बाद वो बच्चा घर गया और उसने अपने उस हाथ को काट लिया। और उसने सबको बतया कि देखो मैं अपने धर्म को मानता हूं। मैं पैगम्बर मोहम्मद को मानता हूं।
और सबसे घटिया बात इस सब के बीच क्या होती है कि उस गांव के लोग इस घटना को खूब सेलिब्रेट करते हैं। मतलब जश्न मनाया जाता है इस बात का।
आप इससे अंदाजा लगा सकते हैं कि कितनी बुरी हालत है वहां के बच्चों की। उनके दिमाग में कितना कुछ भरा जा रहा है। बजाय इसके कि उनसे कुछ देश की प्रगति के लिए काम कराया जाता। उनसे धर्म और इस्लाम की बात की जा रही है बस!
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सेक्सुअल एब्यूज और पाकिस्तान के बच्चे:
जो बच्चे आतंकियों से बच जाते हैं, उन्हें वहां का एजुकेशन सिस्टम बर्बाद करता है। और जो इन दोनों से बचने की कोशिश में उन्हें सेक्सुअल एब्यूज का शिकार होना पड़ रहा है। सेक्सुअल एब्यूज का मतलब है, पाकिस्तान में बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाएं आम हैं।
साहिल नाम की एक एजेंसी जो पाकिस्तान में बच्चों के लिए पिछले 20 साल से काम कर रही है। उसने एक बेहद ही चौंकाने वाला एक डाटा दिया है। सिर्फ 2015 में वहां रेप की या सेक्सुअल एब्यूज की 4000 से ज्यादा घटनाएं हुई हैं।
और इनमें 2000 से ज्यादा या तो सिर्फ बच्चों के ऊपर हुआ सेक्सुअल एब्यूज है या गैंग रेप की घटना हैं।
और पाकिस्तान दुनिया के ऐसे गिने चुने देशों में हैं जहां ये बच्चे लड़के रहे हैं। इसका ये मतलब कतई नहीं निकाला जाना चाहिए कि ये लड़कियां क्यों नहीं हैं। लेकिन ये चौनाकाने वाली बात इसलिए है कि वहां लड़कों की हालत ऐसी है तो लड़कियों की क्या हालत होगी आप अंदाजा लगा सकते हैं।
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पाकिस्तान में 2015 में एक ऐसे ही गैंग का खुलासा हुआ था। जो बच्चों को किडनेप करता था। उनके साथ गैंग रेप होती थी। फिर इन सब की वीडियो भी बनाई जाती थी। और ये सब काम होता था बंदूक के निशाने पर।
अब आपको अंदाजा लग गया होगा कि ये सब कुछ कितना मुश्किल है। वहां के बच्चों के लिए। उनकी जिंदगी कितनी मुश्किल है पाकिस्तान में। लेकिन हम-आप अभी तक सिर्फ बम गिराने और युद्ध की बात में फंसे थे।
ये अलग बात है कि प्रधानमंत्री जी का बयान देर से ही सही लेकिन सधा हुआ आया। कि पाकिस्तान को अभी युद्ध से ज्यादा जरूरत इन परेशानियों से लड़ने की है। और आपने अगर युद्ध करने की ही ठानी है तो हम कौन होते हैं समझाने वाले। जाइये सीमा पर बंदूक उठाइए और शुरू हो जाइए।
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