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भारत में महिला और पुरुष के बीच की खाई पाटने के लिए तमाम चर्चाएं और कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं लेकिन जमीन पर कई बार हकीकत पुरानी जंजीरों से जकड़ी हुई दिख जाती है। हम लगातार कोशिश कर रहे हैं और धीरे-धीरे इससे बाहर निकल भी रहे हैं। क्योंकि इस मुहीम में महिलाएं पूरी शिद्दत से खुद को साबित करने में जुटी हुई हैं। ऐसी ही एक महिला के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। अपराजिता राय, जिन्होनें कड़े संघर्षों के बाद सिक्किम की पहली महिला IPS ऑफिसर बनने का गौरव प्राप्त किया।
अपराजिता जब सिर्फ 8 साल की थीं तभी उनके पिता का देहांत हो गया था। बचपन, आर्थिक तंगी में गुजरा, मां शिक्षिका थीं तो किसी तरह गुजर बसर हो जाता था, लेकिन लोगों की दया भावनाएं अपराजिता को चुभती थी। कठिन समय में अपराजिता ने खुद से वादा किया था कि वो एक दिन सामाजिक बदलाव के लिए काम करेंगी ताकि पूरी दुनिया उनकी चर्चा करे।
अपराजिता ने साल 2010 में सिविल सर्विस एग्जाम में 768 रैंक हासिल की थी। साल 2011 में फिर से कोशिश की और 358 रैंक हासिल की। इस बार वो सिक्कम में सबसे अच्छी रैंक हासिल करने वाली महिला बनीं।
अपराजिता का कहना है कि सिक्किम की पहली महिला आईपीएस अधिकारी बनने के बाद मैं अपने सामाजिक बदलाव के उद्देश्य पर काम कर रही हूं। वो कहती हैं कि मैंने मुफलिसी के जीवन को देखा है इसलिए मैं कोशिश करती हूं कि मेरे पास जो भी अपनी परेशानी लेकर आए, वो उस परेशानी से निजात मिलने के बाद जाएं।
अपराजिता अपनी मां को सफलता का श्रेय देती हैं। उनका कहना है कि उस दौर में सिंगल मदर होकर एक बेटी को पालना किसी पहाड़ तोड़ने से कम नहीं था। अपराजिता ने वेस्ट बंगाल यूनिवर्सिटी से बीए एलएलबी की पढ़ाई की है। वो न सिर्फ पढ़ाई लिखाई में बेहतरीन थी बल्कि डांस और म्यूजिक का भी खासा शौक रखती हैं।