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Kanak From Karnataka Have Inspirational Story Who Is Going To Speak In Parliament
कभी करती थी मजदूरी का काम, अब करेगी संसद को संबोधित
Updated Thu, 16 Nov 2017 09:41 PM IST
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kanak Karnataka
- फोटो : Indian Express
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विस्तार
बाल मजदूरी, एक ऐसा अभिशाप है जिसकी आंच में हर साल हजारों लाखों बच्चे अपने बचपने को जला देते हैं। ये समस्या सिर्फ हिंदुस्तान की नहीं है बल्कि कई देश इसकी चपेट में है। कई बार परिस्थितियां तो कई बार जबरन, बच्चों को इसमें झोंक दिया जाता है। पूरी दुनिया में ये एक चिंताजनक स्थिति बनी हुई है। इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन के मुताबिक 1 करोड़ से भी ज्यादा बच्चे इस काल के गाल में फंसकर अपनी जिंदगी तबाह कर रहे हैं जिसमें से 70 फीसदी तो अकेली लड़कियां हैं। ऐसी ही एक लड़की है… कनक, जिसने अपनी जिंदगी के 12 साल बाल मजदूरी जैसे अंधेरे में बिताए और आने वाले 20 नंवबर को देश की संसद में बाल अधिकारों पर अपनी बात रखेगी।
कनक अब 17 साल की हो चुकी है और उन 30 बच्चों में चुनी गई है यूनिसेफ की तरफ से आयोजित एक प्रोग्राम में बुलाया गया है। इस कार्यक्रम में देशभर से बच्चों को चुना जाता है। कर्नाटक की रहने वाली कनक, अपने राज्य की इकलौती छात्र होगी। कनक ने अपनी जिंदगी का सबसे कीमती वक्त बालमजदूरी में बिता दिया। स्लम में जन्म हुआ, पिता शारीरिक लाचारी की वजह से घर में रहने को मजबूर थे। मां घरों का काम करके किसी तरह खर्चा चला रही थी। साथ ही कनक को स्कूल भी भेजती थी। लेकिन एक दिन पता चला कि कनक की मां को कैंसर है।
मां की बीमारी में कनक का स्कूल छूट गया वो चौथी क्लास तक ही पढ़ पाई थी कि घर पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा। कुछ दिनों बाद मां का देहांत हो गया तो घर में खाने के भी लाले पड़ गए। ऐसे में कनक को घरों में जाकर काम करना पड़ा और अपने परिवार की जिम्मेदारी संभालनी पड़ी। लेकिन उसके कुछ रिश्तेदार कनक को जबरन अपने घर ले गए। जहां उसको मानसिक और शारिरीक यातनाएं झेलनी पड़ती थी।
कनक के रिश्तेदार उसे गेस्ट हाउस में काम करने के लिए भेज देते थे। शादियों के सीजन में वो मैरिज हॉल में काम किया करती थी। इसी दौरान एक NGO 'स्पर्श' की नजर कनक पर पड़ी। उन्होंने कनक को नरक से निकाला और उसकी पढ़ाई-लिखाई फिर से शुरू करवाई। 10वीं क्लास के एग्जाम में कनक 80 फीसदी अंकों के साथ पास हुई।
अब आने वाली 20 नवंबर को वो संसद में कर्नाटक की अगुवाई करेगी। उसे 8 मिनट का वक्त दिया जाएगा बोलने के लिए। यहां तक पहुंचने के लिए कनक ने कई बार ऑडिशन क्लियर किया। कनक बाल मजदूरी में बात करना चाहती है, उसका मानना है कि बाल श्रम के लिए कई सारे कानून बना दिए गए हैं लेकिन इनका असर न के बराबर होता है। वो इसी मुद्दे पर संसद में बोलना चाहती हैं।
20 नंवबर को यूनिवर्सल चिल्ड्रेन्स डे है। इस मौके पर संसद में अपनी तरह का पहला आयोजन किया जा रहा है जिसका भागीदार यूनिसेफ भी है। यहां हर राज्य से आए बच्चे को 8 मिनट का वक्त दिया जाएगा। इसके लिए पूरे देश से 30 बच्चों को चुना गया है।
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