सचिन तेंदुलकर एक ऐसा नाम है जिसे सुनकर अच्छे-अच्छे गेंदबाजों के पसीने छूट जाते हैं लेकिन क्या आपको पता है कि क्रिकेट के भगवान के अलावा यह नाम इन दिनों मकड़ी के नाम से भी जुड़ गया है। अब आपके मन में सवाल की घंटी तो जरूर बजी होगी कि भइया भला कोई मकड़ी का नाम सचिन तेंदुलकर कैसे रख सकता है।
दरअसल, बात कुछ यूं है कि गुजरात इकोलॉजिकल एजुकेशन एंड रिसर्च के एक जूनियर रिर्सचर ने हाल ही में दो नई मकड़ियों की प्रजातियों की खोज की,उनका कहना है कि ये नई प्रजातियां एशियाई जंपिंग स्पाइडर के इंडोमारेंगो (Indomarengo) और मारेंगो जीनस (Marengo genus) की हैं। ये प्रजाति केरल, तमिलनाडु और गुजरात में पाई जाती हैं।
शख्स का नाम ध्रुव प्रजापति है,इनकी यह खोज सितंबर महीने में एक रशियन जर्नल आर्थ्रोपोडा सिलेक्टा (Arthropoda Selecta) के अंक में प्रकाशित हुए हैं। ध्रुव का कहना है कि इन दो प्रजातियों में से पहली प्रजाति का नाम मारेंगो सचिन तेंदुलकर (Marengo sachintendulkar) रखा है, तो वहीं दूसरी मकड़ी की प्रजाति इंडोमारेंगो जीनस है जो कि एक एशियाई जंपिंग स्पाइडर थी और केरल में पाई गई थी। इस मकड़ी को इंडोमारेंगो चवारापटेरा (Indomarengo Chavarapatera) नाम दिया गया है।
ध्रुव प्रजापति का कहना है कि मकड़ियों का नामकरण उन लोगों के नाम पर किया है, जिनसे उन्हें अपने जीवन में प्रेरणा मिली है। सचिन तेंदुलकर उनके पसंदीदा क्रिकेटर हैं और मकड़ी का नाम इसलिए ही सचिन के नाम पर रखा है। ध्रुव प्रजापति ने कहा कि दूसरी प्रजाति इंडोमारेंगो का नाम संत कुरीकोस इलियास चवारा से प्रेरित है, जिन्होंने केरल में शिक्षा को लेकर जागरूकता पैदा करने का सराहनीय काम किया था।
बता दें कि इन दो फ्लैट बॉडी वाली मकड़ियों की खोज को वर्ल्ड स्पाइडर कैटलॉग में शामिल किया गया है। गुजरात यूनिवर्सिटी से जूलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाले ध्रुव ने करीब 78 अनोखी प्रजातियों की मकड़ियों की खोज की है। उनका कहना है कि दुनियाभर में पाई जाने वाली मकड़ियों की करीब 48,000 प्रजातियां हैं।