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चीन डायरीः चीन जैसा सुना था और जैसा देखा

नवीन चंद्र लोहनी Updated Sun, 17 Jun 2018 11:40 AM IST
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china diary: Know about china
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विस्तार

जब मैं चीन को एक आम भारतीय के नजरिए से देखता हूं  तो एक ऐसे देश का ख्याल आता है जिसके तमाम उत्पादों ने जिसने हाल के वर्षों में भारत के बाजारों में अपनी गहरी पैठ बना ली है और जो एक साथ प्रेम, ईर्ष्या, स्पर्धा और कभी-कभी विरोधी सा बन जाता है। वहीं, कुछ के लिए चीन तकनीक और प्रगति में सारी दुनिया से लोहा लेता हुआ देश है, लेकिन बहुतेरे लोगों के लिए जानकारी के अभाव में चीन की कहानियां बहुत पुरानी हैं मतलब कि उनके लिए चीन एक गरीब पिछ्ड़ा देश है आज भी, तो मेरे लिए चीन एक आश्चर्य था।

पहाड़ी प्रदेश में पैदा होने के कारण मैं कई बार अपने गांव से उत्तर दिशा की ओर जाने वाले हवाई जहाज को देखकर सोचता था कि यह है चीन देश का। बचपन में चीन मेरे लिए परी कथा वाला देश था, क्योंकि कालिदास के “अस्त्युत्तरस्यां दिशि देवतात्मा हिमालयोनाम नगाधिराज:” की भाषा में समझूं तो मेरी बचपन की दुनिया का भूगोल मेरे गांव उत्तर के पहाड़ से खत्म हो जाता था।

धीरे-धीरे इस भूगोल की व्याप्ति कुछ हुई तो नंदा देवी की बर्फीली चोटियों को देखने के बाद तो मेरे लिए उत्तर दिशा का अंतिम छोर आ चुका था। जीवन के कुछ आगे के सालों में चीन निवासी बर्फीले इलाके में, कम लम्बाई वाले, गोल-गोल  मुंह वाले, गोरे रंग के लोग मेरी कल्पना के पात्र थे और इसको साकार समझने के लिए दादी और कुछ बुजुर्गों की कहानियां मदद करती थी।

हमारे जिले के उत्तर में बसे मुनस्यारी में रहने वाले भोटिए की कद काठी सा रूप-रंग-आकार बताकर दादी ने चीन वासियों के कुछ काल्पनिक चित्र उस समय मेरे दिमाग में भर दिए थे। भोटिए लोगों के बारे में जो थोड़ी बहुत स्मृति उस समय की है वह थी कुछ मसालों, नमक आदि सामान के साथ आने वाले और धान, गेहुं, भट, मसूर के बदले में ले जाने वाले लोगों की। ये लोग जब हमारे गांव-घरों से आते जाते थे तो एक अपनत्व और आश्चर्य भाव भी बन गया था।

मेरी कल्पना के ये चीनी नागरिक जब इतिहास की पुस्तकों में ह्वेनसांग बनकर आए तो उनके चित्रों से चीन निवासियों के कुछ चित्र बनने लगे। फिर पुस्तकों, अखबारों से होते हुए फिल्मों और बाद में टेलीविजन तक कुछ वैसे रूप आकार के लोग दिखते तो चीन निवासियों के बारे में कुछ चित्र बनकर आते जाते रहे। धीरे-धीरे तकनीक की दुनिया ने दुनिया भर के लोगों को देखना- दिखाना आसान कर दिया तो मेरे लिए चीन वासियों को पहचानना आसान हो गया। अब मैं चीन पहुंचा हूं फरवरी 2017 में। जीवन के पांच दशक से अधिक समय पूरा करने के बाद और वह भी दुनिया के सर्वाधिक आधुनिक शहरों में से एक शहर शंघाई में ।
यहां आने से पहले चीन के बारे में जो जितना सुना-पढ़ा था उसमें एक बड़ा हिस्सा शंघाई के बारे में था। चीन एक पुरानी सभ्यता-संस्कृति वाला देश, एक समय में गौतम बुद्ध के सर्वाधिक समर्थकों का देश। सुप्रसिद्ध विचारक कनफ्युसियस का देश। चीनी साहित्यकार लुसुन का देश। चीन के शासक माओ का देश। विश्व के आश्चर्य में शामिल दीवार वाला देश। सभ्यताओं की खोज करती टेराकोटा वारियर्स की जीवंन्त फौज वाला देश। जहां तकनीक का इतना तेजी से प्रयोग हुआ कि शीशे का पुल बना दिया गया। जहां बर्फ का जहां पूरा शहर हार्बिन सजता है। बीजिंग, शियान, सियामेन, सूजो, वूसी, होंग्जु, छेंदु, नैंन्जिंग देश की नई और पुरानी राजधानियों और महत्वपूर्ण नगरों वाला देश। हांगकांग जैसे अधुनातन शहर हैं तो चओ च्वांग, फंग ह्वांग, तियान लोऊ खंग तिलोऊ चीन के प्रमुख पर्यट्क केंद्रों, शहरों, विशिष्ट स्थलों में साथ-साथ घूमेंगे इस डायरी के साथ-  

चीन के शहरों मे सबसे विशेष है शंघाई जिसे लोग संग्वाई, सांगहाई  आदि नामों से भी जानते हैं। चीन का सर्वाधिक विकसित शहर 17 मेट्रो लाईन, दो विश्व स्तरीय एयरपोर्ट, परंपरा और आधुनिकता का समन्वय केंद्र, विज्ञान, शिक्षा और व्यवसाय का प्रसिद्ध केंद्र, दुनिया के तमाम सभ्यता-सस्कृतियों के केंद्र व चीन के भाषा, विज्ञान, कला, प्रबंधन, कानून, चिकित्सा, तकनीकी शिक्षा का प्रमुख केंद्र के सुप्रसिद्ध दुनिया भर की सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र, चीन की सर्वाधिक तेज मांग्लेव मेट्रो का शहर, चीन के जल, थल, वायु मार्गों सभी से जुड़ा केंद्र, हाल के दिनों में जब मैंने नए चीन और शंघाई के बारे में फेसबुक, वाट्सएप या वीचेट पर कुछ लिखा, या भारत के कोलकाता, आगरा, लखनऊ, गाजियाबाद, मेरठ शहर के कार्यक्रमों, संगोष्ठियों में कुछ कहा तो जिज्ञासा, आश्चर्य, प्रेम, संदेह, ईर्ष्या कई भावों से लोगों ने चीन के बारे में जानने की इच्छा प्रकट की। लोगों की इन्हीं इच्छाओं और जिज्ञासाओं को हम इस चीन डायरी में सुलझाने का प्रयास करेंगे। अगले अंकों में हम आपको सिलसिलेवार चीन की तमाम विशिष्टाताओं और विविधताओं से रूबरू कराएंगे।

(प्रो. नवीन चंद्र लोहनी, शंघाई इंटरनेशनल स्टडीज यूनिवर्सिटी शंघाई में विजिटिंग प्रोफेसर हैं और शिक्षा के क्षेत्र में 28 से ज्यादा वर्षों का अनुभव रखते हैं। चीन डायरी में हम उनसे जानेंगे चीन की उस आर्थिक और सामाजिक तरक्की के बारे में जो अभी भी दुनिया के लिए अबूझ पहेली है। उनसे जानेंगे चीन की उस अलग सी दुनिया के बारे में जो आज भी विश्व के लिए किसी रहस्य से कम नहीं है।)
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