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गूगल हमारी जिंदगी में बुरे तरीके से घुस चुका है। दिल-दिमाग के अलावा ये हमारे घरों के अंदर.. बिस्तर और गुसलखानों तक पहुंच चुका है। कमाल तो ये है कि इसने कभी हमसे घुसने की इजाजत नहीं मांगी बल्कि हम खुद इसका हाथ पकड़कर अंदर ले लाए। गूगल वो सब कुछ कर सकता है जो हम सोच सकते हैं। क्या, क्यों, कब और कैसे का जवाब गूगल के पास है। शायद इसी वजह से आज के पत्रकार का बेस्ट फ्रेंड भी गूगल ही है। लेकिन पत्रकारों का ये दोस्त अब दगाबाजी के संकेत दे रहा है।
डिजिटल युग में प्रवेश करा कर गूगल ऐसा आविष्कार करने की तैयारी कर रहा है कि जिसका सीधा असर पत्रकारों पर पड़ेगा। ये एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार कर रहा है जो खबरें लिखने की काबिलियत रखता है। मतलब जानकारी मिलते ही खबर अपने आप लिखने का हुनर रखने वाला सॉफ्टवेयर जल्द ही मार्केट में उपलब्ध हो जाएगा।
गुगल के इस सॉफ्टवेयर का नाम होगा RADAR (रिपोर्ट एंड डाटा एंड रोबोट्स)। इसके आविष्कार के लिए गूगल ने ब्रिटेन की न्यूज एजेंसी को 8.05 लाख डॉलर का चेक भी भिजवा दिया है। ...और अगर सबकुछ ठीक रहा तो 2018 तक ये सॉफ्टवेयर लॉन्च भी हो जाएगा।
यहां आपको गूगल की चालाकी समझ में आएगी… वैसे तो अभी सब कयासबाजी चल रही है लेकिन इसी में किसी ने जुगाड़ से जानकारी पा ली है कि सरकारी एजेंसियों की प्रेस रिलीज और कानून के प्रवर्तन यूनिट्स की जानकारी के आधार पर खबर लिख देगा।
भयानक चिंता वाली बात ये है कि गूगल बाबा एक दिन में एक हजार खबरें तक लिख सकेंगे। अब दिन भर सरकार की वाहवाही लिखने वाली एजेंसी पर सरकारों की कृपा भी बनी रहेगी, फिर सरकार किसी की भी हो।
कंपनी का कहना है कि इससे पत्रकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, थोड़ी बहुत कटौती जरूर होगी। सवाल ये है कि सैद्धांतिक पत्रकारिता का क्या होगा, क्या गूगल उसके लिए भी कोई सॉफ्टवेयर बनाएगा, या कोई तेल या टॉनिक का अविष्कार करेगा। वैसे गूगल का ट्रांस्लेटर भी जब आया था तो भी बहुत उम्मीदें थी लेकिन वो कई बार भावनाओं के उलट अनुवाद करते पाया गया है, जिससे अर्थ का अनर्थ होते-होते बचा है।