Home Panchayat Harishankar Parsai Writes About Famous Writer O Henry

मशहूर लेखक ओ हेरनी के बारे में बता रहे हैं व्यंग्यकार हरिशंकर परसाई

Updated Fri, 08 Dec 2017 06:49 PM IST
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व्यंग्यसम्राट हरिशकंर परसाई ने ‘ओ हेनरी’ शीर्षक का एक व्यंग्य लिखा जोकि उनकी किताब ‘ऐसा भी सोचा जाता है’ में छपा था। किताब का प्रकाशन वाणी प्रकाशन ने सन् 1985 में किया था। 

एक आदमी का वास्तविक नाम ओ हेनरी नहीं था। अमेरिका में शिकागो के एक बैंक में एक आदमी काम करता था। वह गबन के अपराध में जेल गया। जेल में वक्त काटने के लिए कहानियां लिखने लगा। उसने अपना नाम ओ. हेनरी लिख लिया। वह मशहूर कहानी-लेखक हो गया। 

ओ. हेनरी दुनिया के दूसरे बड़े कहानीकारों से अलग किस्म का लेखक है। उसमें बड़ा बारी व्यंग्य है। भाषा विलक्षण है। विरोधाभास पकड़ने की क्षमता अद्भुत है। उसके प्रहार बहुत जोरदार होते हैं। उसकी शैली का कमाल यह है कि लिखते-लिखते दो-चार जगह कटाक्ष के बाण छोड़ देता है, जिसे अंग्रेजी में टेण्जेण्ट कहते हैं।मूल विषय जिस पर वह लिख रहा है उसके बहाने दूसरी चीजों, व्यक्तियों और वर्गों पर कटाक्ष कर देता है।  व्यक्तियों का चित्रण वह अद्भुत तरीके से करता है। जैसे किसी की कंजूसी को बताना है तो वो लिखता है कि- ही वाज सो रिच दैट ही कुड अफोर्ड टू वाक ए फ्यू ब्लॉक्स बिफोर टेकिंग ए टैक्सी। इसके साथ ही लेखन में बहुत गहरी मानवीय संवेदना है, चेतना है। भाषा की रवानी और मुहावरों की बनावट बहुत मोहक है। 

उनकी एक कहानी है ‘जीवन की भंवर’। बहुत मार्मिक है। गांव में किसान दम्पत्ति रहते हैं। उनका आपस में झगड़ा होता रहता है। एक दिन वे तय करते हैं कि चलें तलाक ले लेते हैं। पांच डॉलर का नोट लेकर वे पास के कस्बे के रजिस्ट्रार के दफ्तर जाते हैं। तलाक की अर्जी पेश करते हैं। अधिकारी और पूछताछ करके तलाश मंजूर कर देता है। अब वे दोनों बाहर आते हैं। एक दूसरे के बिना बोले बरामदे में खड़े रहते हैं। कभी इधर देखते हैं कभी उधर देखते हैं। इतने साल साथ रहकर एक तरह का जीवन जीने का उन्हें अभ्यास हो गया था। इस नई परिस्थिति में दोनों भौचक थे। उनमें कुछ इस तरह की बातचीत होगी। 

पुरुष: अब तू कहां जायेगी? 
स्त्री: मैं कहीं भी जाऊं तुम्हें हमसे क्या मतलब? अब तो हमारा रिश्ता रहा नहीं। 
पुरुष: फिर भी बताने में क्या हर्ज है?
पु: फिर भी बताने में क्या हर्ज है? 
स्त्री: मैं अपना मामा के घर जाऊंगी जो इस पहाड़ी के उस पार रहते हैं। 
पु: चल घोड़ा गाड़ी में, मैं तुझे वहां पहुंचा दूंगा। 
स्त्री: पर जब हमारा-तुम्हारा कोई सम्बन्ध ही नहीं है तो तुम ऐसा क्यों करोगे? हम एक दूसरे के लिए अपरिचित हैं। और देखो गाय को घास समय पर खिला देना। 
पु: तुम्हें गाय से क्या मतलब? 
स्त्री: सुबह की बची हुई सब्जी और रोटी मैं सम्हाल कर रख आई हूं। रात को तो इससे तुम्हारा काम चल जायेगा। 
पु: पर तुम्हें इससे क्या मतलब क्या जब हम एक-दूसरे के कोई नहीं? 
स्त्री: तुम अलमारी बन्द करना भूल जाते हो और उसमें चूहे घुस जाते हैं, इसका ध्यान रखना। 

अपने लेख में परसाई जी ने हेनरी की कहानियों का उल्लेख किया।  वे लिखते हैं कि ओ हेनरी की कहानियों की बड़ी विशेषता यह है कि उनमें व्यंग्य और विनोद मिले रहते हैं। फिर, वे मनुष्य के बाहरी जीवन तथा मनोजगत का अध्ययन करती हैं। तीसरे, उनमें मानवीय संवेदना गहरी होती है। 

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