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डेरा सच्चा सौदा नाम की सामाजिक संस्था चलाने वाले बाबा संत गुरमीत राम रहीम सिंह इंसा शायद दुनिया के पहले ऐसे इंसान हैं जो अपनी ही फिल्म इंडस्ट्री चला रहे हैं और सीधे बॉलीवुड से लोहा ले रहे हैं। 50 वर्षीय बाबा फिल्में बनाते हैं लेकिन उनके 90 फीसदी काम अकेले ही निपटाते हैं। मसलन, एक्टर, डायरेक्टर, प्रोड्यूसर, कोरियोग्राफर, सॉन्ग राइटर, सिंगर वगैरह-वगैरह...। बाबा ने दो साल में पांच फिल्में बना दीं। पांचवीं फिल्म का हालांकि अभी पहला पोस्टर जारी हुआ है। फिल्म है 'जट्टू इंजीनियर'। फिल्म का पहला पोस्टर आते ही सोशल मीडिया पर धमाल मच गया और ट्वीटर पर पोस्टर ट्रेंड कर गया।
जट्टू इंजीनियर पर्दे पर हिट होगी या नहीं, यह तो बाद में पता चलेगा लेकिन कोई न कोई रिकॉर्ड इसके साथ जुड़ना तय है। क्यों कि जट्टू इंजीनियर फिल्म की शूटिंग महज 15 दिनों में पूरी हो गई। गुरमीत राम रहीम ने इस फिल्म में अकेले ही 40 रोल निभाए हैं। फिल्म की मूल भावना में समाज से सरोकार रखने वाले जनहित के मुद्दे हैं। बाबा की मानें तो यह उनकी पहली कॉमेडी फिल्म है और यह बॉलीवुड को उनका कॉमेडी चैलेंज है।
फिल्म की पटकथा ऐसे गांव पर आधारित है जहां के लोग आलसी हैं, गंदगी से रहते हैं। गांव में स्कूल तो है लेकिन टीचर नहीं हैं। इस गांव में बाबा हेडमास्टर की भूमिका में नजर आने वाले हैं जो गांव में अपने हास्य प्रहारों के जरिए जागरुकता की अलख जगाते हैं और गांव की किस्मत बदल देते हैं।
इससे पहले बाबा ने 4 फिल्में कीं। एमएसजी- द मैसेंजर, एमएसजी2, एमएसजी-द वॉरियर लॉयन हार्ट और हिंद का नापाक को जवाब- एमएसजी लॉयन हार्ट 2। सभी फिल्मों में एक बात एक जैसी है कि ये देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। बाबा चमत्कारिक ढंग से बुराइयों का खात्मा करते हैं। फिल्मों में रोमांटिक सीन भी होते हैं, लेकिन बड़ी संजीदगी वाले।
तकनीकि और अदाकारी के पहलू पर बाबा की एक्शन फिल्में भी कॉमेडी ही नजर आती हैं। बाबा जिस मोटर साइकिल या कार से चलते हैं वह बटन दबाते ही हेलीकॉप्टर बन जाती है और उससे दुश्मनों के काफिले पर दनादन गोलों की बरसा होने लगती हैं।
बाबा का कॉन्सेप्ट तो हॉलीवुड फिल्मों की तरह है लेकिन उतना परफेक्शन नजर नहीं आता। बाबा अकेले ही सैकड़ों दुश्मनों की अक्ल ठिकाने लगाते नजर आते हैं। बाबा कभी जासूस तो कभी योद्धा की भूमिका में नजर आते हैं। फिल्मों में वीएफएक्स और एडिटिंग में और निखार की गुंजाइश बनी रहती है। बाबा को डायलॉग डिलीवरी पर अभी और काम करना है। लेकिन बाबा की ऑडियंस को वह इतने में ही सुपरस्टार नजर आते हैं। इसकी वजह भी साफ है। फिल्मों का संदेशपरक होना।
बॉलीवुड की या यूं कहें हिदुस्तान में जब फिल्में शुरू हुईं थी तो समाज को जाने वाले संदेश पर ही गौर किया जाता था, जो कि आजकल नजरअंदाज हो जाता है।
गुरमीत राम रहीम का कहना है कि हमारे देश के युवाओं पर फिल्मों की खुमारी सिर चढ़कर बोलती है। युवाओं को फिल्में देखने से तो रोका नहीं जा सकता है। बॉलीवुड वाले भी अपनी रवैये में बदलाव नहीं ला रहे हैं। ऐसे में युवाओं के भविष्य को ध्यान में रखते हुए उन्हें संदेशपरक, सामाजिक सरोकारों से जुड़ी फिल्में दिखाने की जरूरत बनती है और उसे वह पूरा कर रहे हैं। बाबा फिल्म के इस पेशे को भी समाजसेवा नाम देते हैं।
बाबा की यही बात शायद उनके भक्तो पसंद आती है और यही वजह है कि उनकी फिल्में भले ही बॉलीवुड का हिस्सा न मानी जाएं, न ही बॉक्स ऑफिस कलेक्शन पर समीक्षाएं आतीं, लेकिन बाबा की ऑडियंस में बाबा हिट हैं और एक बाद एक अपनी सुपरहिट फिल्में बनाए जा रहे हैं। अब सबको 7 मई का इंतजार है। इस दिन जट्टू इंजीनियर रिलीज होगी।
2016 में सबसे मशहूर अभिनेता, निर्देशक और लेखक के लिए बाबा को दादा साहेब फाल्के फिल्म फाउंडेशन अवॉर्ड (यह वह वाला नहीं है जो बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए मशहूर है) भी मिल चुका है।
इसी साल फरवरी में बाबा को महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फडणवीस ने बेस्ट एक्टर का ब्राइट अवॉर्ड दिया था। 2016 में उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए इंटरनेशनल जॉयंट अवॉर्ड मिला था।