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बॉलीवुड में नेपोटिज्म की चर्चा करना फैशनेबल ट्रेंड बन चुका है। इसमें सुधार या बदलाव की गुंजाइश की बात तो नहीं होती है लेकिन फिल्म को हिट कराने के नाम पर इसकी चर्चा जरूर की जाती है। खैर ये सब तो फिलॉसफी की बातें हैं। यहां बात फिल्मों के उन कलाकारों की हो रही है, जिन्होंने अपनी क्यूटनेस को भी बॉलीवुड में भुनाया और ग्लैमर का तड़का लगाकर सुपरस्टार भी बन गए। मतलब फैन फॉलोइंग बचपन से ही देख रहे हैं।
अपनी क्यूट मुस्कान का जलवा शशिकपूर ने 1948 में ही बिखेर दिया था। बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट उनकी पहली फिल्म ‘आग’ थी, इसके बाद 1961 में फिल्म ‘धरमपुत्र’ से हीरो के तौर पर अपना करियर को शुरू किया।
मिस हवा-हवाई ने अपने करियर की शुरुआत ‘Thunaivan’ नाम की फिल्म से की। ये फिल्म 1969 में रिलीज हुई थी। इसके बाद उन्होंने साउथ की कई फिल्मों में काम किया। 1979 में श्रीदेवी पहली बार फिल्म ‘सोलहवां सावन’ में लीड एक्ट्रेस के तौर पर दिखाई दी थीं।
रणबीर कपूर की मम्मी का करियर भी काफी पुराना है। चाइल्ड आर्टिस्ट के रुप में नीतू सिंह ने पहली फिल्म 1966 में की थी।‘सूरज’ उनकी पहली फिल्म थी। इसके बाद लीड एक्ट्रेस के तौर पर उन्हें पहला रोल फिल्म ‘हीरालाल-पन्नालाल’ में मिला था।
ऋषि साहब तो स्टारडम बचपन से देख रहे हैं। उन्होंने फिल्म ‘मेरा नाम जोकर’ में चाइल्ड आर्टिस्ट के रुप में अपनी शुरुआत की थी। फिर फिल्म ‘बॉबी’ से लीड रोल में नजर आए।
बहुत कम लोग जानते होंगे कि संजय दत्त ने भी छोटी उम्र में फिल्मों में काम किया था। 1972 में रिलीज हुई फिल्म ‘रेश्मा और शेरा’ में इनका रोल था। इसके बाद 1981 में उन्होंने ‘रॉकी’ फिल्म से लीड रोल में आना शुरू किया।
ऋतिक के टैंलेट की झलक उनके बचपन में ही दिख गई थी। जब उन्होंने फिल्म ‘भगवान दादा’ में रजनीकांत के साथ काम किया था। उनके इस क्यूट लुक के बाद लोगों ने जब फिल्म 'कहो न प्यार है' का हैंडसम ऋतिक देखा तो नजरें हटाना मुश्किल हो गया।
मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान को पहली बार स्क्रीन पर फिल्म ‘यादों की बारात’ में देखा गया था। बतौर लीड कलाकार आमिर 'कयामत से कयामत तक' में नजर आए।