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हाल ही में वायुसेना के पठानकोट एयरबेस पर आतंकियों ने हमला किया। भारतीय सेना ने इस हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया और आतंकियों को जल्द ही ढेर कर दिया। हालांकि इस मुठभेड़ में हमारे देश के 8 वीर योद्धा शहीद हो गए। मगर जिन्होंने शहादत की कुर्बानी नहीं दी, उनकी वीरता कोई कम नहीं हैं।
आज हम आपको मिलाने वाले हैं एक ऐसे ही वीर से, जिसकी कहानी सुन कर आप कई दफा करेंगे सलाम।
पठानकोट हमले में घायल इस वीर की पहचान शैलेश के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि इसकी उम्र 24 साल है। मगर इसने कोई साधारण कार्य नहीं किया है। पठानकोट हमले में इस वीर ने आतंकियों का डटकर मुकाबला किया।
छ: गोलियां... जी हाँ, कम से कम छ: गोलियां लगने के बावजूद, भारत मां का यह वीर सपूत आतंकियों से लड़ता रहा।
इस गरुड़ कमांडो को पाकिस्तानी आतंकियों ने आधा दर्जन से भी ज्यादा गोलियां मारी। मगर इस गरुड़ कमांडो के पैर नहीं लड़खड़ाए। पठानकोट एयरवेस पर इस शूरवीर ने ऑपरेशन को जारी रखा, जब तक एयरबेस की सुरक्षा निश्चित नहीं हुई। 11 अन्य साथियों के साथ, शैलेश को मैकेनिकल ट्रांसपोर्ट विंग के बाहर तैनात किया था, जहां वो दुश्मन से लोहा ले सके। दुश्मन को ढेर करते हुए, शैलेश खुद 6 से ज्यादा बार जख्मी हुए।
यह गोलियां इनके पेट के निचले हिस्से में लगी थी। शरीर से खून पानी की तरह बह रहा था, मगर शैलेश ने बैक-अप आने तक अपने कदम पीछे नहीं खींचे। एक घंटे बाद मदद आने पर इन्हें बचा लिया गया। आतंकियों को फाइटर जेट से दूर रखने में शैलेश का एक बहुत बड़ा योगदान है, जो फिल्हाल जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं।
हम उनके स्वस्थ जीवन की कामना और प्रार्थना करते हैं और उम्मीद है कि दुश्मन से जंग जीतने वाला यह सिकंदर मौत पर भी फतह हासिल करेगा।
जय हिन्द