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दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माने जाने वाला कोहिनूर हीरा एक बार फिर चर्चा में है। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में सरकार का पक्ष रखा है कि ये हीरा ना तो चुराया गया था और ना ही बलपूवर्क ले जाया गया था। आखिर क्या है कोहिनूर और क्यों इतना मशहूर है यह। इसको लेकर जब तब इतनी चर्चा क्यों होती रहती है? दरअसल यह कई मुगल व फारसी शासकों से होता हुआ, अन्ततः ब्रिटिश शासन के अधिकार में लिया गया, व उनके खजाने में शामिल हो गया। आइए जानते हैं इससे जुड़ी कहानियों के बारे में।
कोहिनूर की भी अपनी कई कथाएं रही हैं। इससे जुड़ी मान्यता के अनुसार, यह पुरुष स्वामियों का दुर्भाग्य व मृत्यु का कारण बना, व स्त्री स्वामिनियों के लिए सौभाग्य लेकर आया। अन्य मान्यता के अनुसार, कोहिनूर का मालिक संसार पर राज करने वाला बना।
कोहिनूर की कहानी
कोहिनूर दुनिया का सबसे मशहूर हीरा है. मूल रूप से आंध्र प्रदेश के गोलकोंडा ख़नन क्षेत्र में निकला था कोहिनूर। मूल रूप में ये 793 कैरेट का था। अब यह 105.6 कैरेट का रह गया है जिसका वजन 21.6 ग्राम है। एक समय इसे दुनिया का सबसे बड़ा हीरा माना जाता था।
कोहिनूर के बारे में पहली जानकारी 1304 के आसपास की मिलती है, तब यह मालवा के राजा महलाक देव की संपत्ति में शामिल था। इसके बाद इसका जिक्र बाबरनामा में मिलता है। मुगल शासक बाबर की जीवनी के मुताबिक, ग्वालियर के राजा बिक्रमजीत सिंह ने अपनी सभी संपत्ति 1526 में पानीपत के युद्ध के दौरान आगरा के किले में रखवा दी थी। बाबर ने युद्ध जीतने के बाद किले पर कब्ज़ा जमाया और तब 186 कैरेट के हीरे पर भी कब्जा जमा लिया। तब इसका नाम बाबर हीरा पड़ गया था।
इसके बाद ये हीरा मुगलों के पास ही रहा। 1738 में ईरानी शासक नादिर शाह ने मुगलिया सल्तनत पर हमला किया। 1739 में उसने दिल्ली के तब के शासक मोहम्मद शाह को हरा कर उसे बंदी बना लिया और शाही खजाने को लूट लिया। इसमें बाबर हीरा भी था। इस हीरे का नाम नादिर शाह ने ही कोहिनूर रखा।
नादिर शाह कोहिनूर को अपने साथ ले गया। 1747 में नादिर शाह के अपने ही लोगों ने उनकी हत्या कर दी। इसके बाद कोहिनूर नादिर शाह के पोते शाह रुख़ मिर्ज़ा के कब्ज़े में आ गया। 14 साल के शाह रुख़ मिर्ज़ा की नादिर शाह के बहादुर सेनापति अहमद अब्दाली ने काफी मदद की तो शाह रुख़ मिर्जा ने कोहिनूर को अहमद अब्दाली को ही सौंप दिया।
अहमद अब्दाली इस हीरे को लेकर अफगानिस्तान तक पहुंचा। इसके बाद यह हीरा अब्दाली के वंशजों के पास रहा। अब्दाली का वंशज शुजा शाह जब लाहौर पहुंचा तो कोहिनूर उसके पास था। पंजाब में सिख राजा महाराजा रणजीत सिंह का शासन था। जब महाराजा रणजीत सिंह को पता चला कि कोहिनूर शुजा के पास है, तो उन्होंने उसे हर तरह से मनाकर 1813 में कोहिनूर हासिल कर लिया।
रणजीत सिंह कोहिनूर हीरे को अपने ताज में पहनते थे। 1843 में उनकी मौत के बाद हीरा उनके बेटे दिलीप सिंह तक पहुंचा। 1849 में ब्रिटेन ने महाराजा को हराया। दिलीप सिंह ने लाहौर की संधि पर तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी के साथ हस्ताक्षर किए। इस संधि के मुताबिक कोहिनूर को इंग्लैंड की महारानी को सौंपना पड़ा।
कोहिनूर को लॉर्ड डलहौजी 1850 में लाहौर से मुंबई ले कर आए और वहां से छह अप्रैल, 1850 को मुंबई से इसे लंदन के लिए भेजा गया। 3 जुलाई, 1850 को इसे बकिंघम पैलेस में महारानी विक्टोरिया के सामने पेश किया गया। 38 दिनों में हीरों को शेप देने वाली सबसे मशूहर डच फर्म कोस्टर ने इसे नया अंदाज दिया। इसका वजन तब 108.93 कैरेट रह गया। यह रानी के ताज का हिस्सा बना। अब कोहिनूर का वजन 105.6 कैरेट है।
स्वतंत्रता हासिल करने के बाद 1953 में भारत ने कोहिनूर की वापसी की मांग की थी, जिसे इंग्लैंड ने अस्वीकार कर दिया था। 1976 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री जुल्फ़िकार अली भुट्टो ने भी इसकी मांग की थी, जिसे ब्रिटेन ने खारिज कर दिया था।
प्राचीन मान्यताएं
कई स्रोतों के अनुसार, कोहिनूर हीरा, लगभग 5000 वर्ष पहले, मिला था और यह प्राचीन संस्कृत इतिहास में लिखे अनुसार स्यमंतक मणि नाम से प्रसिद्ध रहा था। हिन्दू कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं यह मणि, जाम्बवंत से ली थी, जिसकी पुत्री जामवंती ने बाद में श्री कृष्ण से विवाह भी किया था। जब जाम्वंत सो रहे थे, तब श्रीकृष्ण ने यह मणि चुरा ली थी। एक अन्य कथा अनुसार, यह हीरा नदी की तली में मिला था, लगभग ३२०० ई.पू.।
दुनिया के अन्य मशहूर और महंगे हीरे
1.द कलिनन डायमंड
530.20 कैरेट का ये हीरा नाशपाती के आकार का है। साल 1905 में इसे दक्षिण अफ्रीका की जिस खान से खोजा गया था उसका मालिक थॉमस कलिनन नाम का शख्स था, इसलिए इस हीरे का नाम कलिनन पड़ा। बाद में इसे नौ भागों में काटा गया। इसकी कीमत 400 मिलियन डॉलर यानी आज के हिसाब से करीब 26 अरब 32 करोड़ 40 लाख रुपए है।
2.द होप डायमंड
45.52 कैरेट के गाढ़े नीले रंग के इस दुर्लभ हीरे का उदगम स्थान भारत है। इसकी कीमत 350 मिलियन डॉलर यानी करीब 23 अरब 03 करोड़ 35 लाख रुपए है। माना जाता है कि इस हीरे के साथ एक श्राप चलता है। भारत से जिस शख्स ने इस हीरे को चुराया था तो उसकी मौत हो गई थी। लंबे समय तक हेनरी फिलिफ होप नाम के शख्स के कब्जे में रहने से इस हीरे का नाम होप पड़ गया। फिलहाल ये वॉशिगटन के म्यूजियम की शान बढ़ा रहा है।
3.द ग्राफ पिंक
24.78 कैरेट के इस गुलाबी हीरे की कीमत 46 मिलियन डॉलर यानी करीब 3 अरब 02 करोड़ 72 लाख 60 हजार रुपए है। इसके पहले मालिक हैरी विंस्टन ने इस 60 साल तक निजी कलेक्शन में रखा था।
4.द प्रिंसी डायमंड(34.65 कैरेट)
इस दुर्लभ हीरे को भारत के गोलकोंडा की खान से खोजा गया था। जिस पर हैदराबाद के शाही परिवार ने कब्जा जमा लिया था। 1960 में हैदराबाद के निजाम ने इस हीरे को लंदन की शाखा वैन क्लीफ और आर्पिल्स को बेंच दिया। हीरे का नाम प्रिंस ऑफ बड़ौदा के नाम पर रखा गया। इस खूबसूरत हीरे की कीमत 40 मिलियन डॉलर यानी करीब 2 अरब 63 करोड़ 24 लाख रुपए है।
5.द विटलबैच ग्राफ डायमंड(31.06 कैरेट)
17वीं शताब्दी में स्पेन के राजा फिलिप चतुर्थ ने इस हीरे को अपनी बेटी के दहेज में दे दिया था। बाद में ये हीरा ऑस्ट्रेलिया और बावरिया में ताज में जड़ा गया। साल 2008 में अंग्रेज ज्वैलर लॉरेंस ग्राफ ने इसे खरीदा, उस वक्त इस हीरे को डेर ब्लाउ विटल्सबैच कहा जाता था। ग्राफ ने इस हीरे को लंदन के क्रिस्टी से 24.3 मिलियन डॉलर यानी भारत के डेढ़ अरब रुपए से भी ज्यादा में खरीदा था।
Source:
BBC