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जिस तरह से बस चला फर्राटा भरती है सीमा, देखकर पुरुष भी हो जाते हैं भौचक्के

टीम फिरकी, नई दिल्ली Updated Fri, 30 Nov 2018 07:34 PM IST
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Ba student seema to drive haryana roadways bus in hisar
- फोटो : Social Media
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कहते हैं सीखने का जज्बा हो और कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो इस संसार में कुछ भी असंभव नहीं है। एक समय था जब बेटियों को उनके हक नहीं मिलते थे, लेकिन आज बेटियों ने हर क्षेत्र में एक बड़ा मुकाम हासिल कर रही हैं। सड़क पर स्कूटी और कार चलाते हुए आपने अक्सर महिलाओं को देखा होगा, लेकिन ग्रेजुएशन कर रही हिसार की बेटी सीमा ग्रेवाल हरियाणा रोडवेज की बस को इतनी फर्राटे से चलाती हैं कि सभी पुरुष चालक उनको देखकर भौचक्के रह जाते हैं।

सीमा ने अपनी जिंदगी में काफी दिक्कतों का सामना किया है। सीमा ग्रेवाल इन दिनों हिसार के फतेह चंद कॉलेज में बीए फाइनल की पढ़ाई कर रही है। बारहवीं पास करने के बाद सीमा हिसार में अपनी सहेली के पास रहने लगी और प्राईवेट नौकरी करके अपनी पढ़ाई जारी रखी। सीमा नारनौंद क्षेत्र के एक गांव गुराना की रहने वाली हैं। अब वह पढ़ाई के साथ-साथ वाहन चलाने में ट्रेंड हो गई है।  
 

सीमा ने बताया कि वह कुछ महीनों की थीं तो उनके पिता ने माता को छोड़ दिया था। इसके बाद मां ने भी सीमा का साथ छोड़ दिया और उसे अनाथ आश्रम में रख कहीं निकल गई। छह साल बाद मां को सीमा की याद आई तो वह वापिस उसे अपने साथ लेकर गई, लेकिन मां ने फिर अपना एक नया परिवार बसा लिया और सीमा को उसका हक नहीं मिल पाया।

मामा के पास रह कर सीमा ने पढ़ाई शुरू की, लेकिन यहां भी परेशानियों ने पीछा नहीं छोड़ा। जिसके बाद सीमा अपनी एक सहेली के पास रहने लगीं और अब वह हैवी वाहन चलाने की पढ़ाई कर रही है। सीमा के लिए बस चलाना तो जटिल था ही मगर इससे भी जटिल था विपरीत हालातों से उभरकर जीना, मगर सीमा ने हार नहीं मानी। 

 
रोडवेज के प्रशिक्षक सुलेश ने बताया कि सीमा कुछ ही दिनों में ट्रेंड हो गई है वो बड़ी चतुराई के साथ बस को चलाती है। शुरूआत में उसको बारिकियों से बस के बारे में बताया था। अब वो पूरी तरह से ट्रेंड हो चुकी है और जल्द ही उसको हेवी लाइसेंस मिल जाएगा।


महिलाओं के लिए प्रेरणस्रोत है सीमा
हिसार रोडवेज के ट्रैफिक मेनेजर आर के ने बताया कि सरकार की 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' मुहिम काफी रंग ला रही है। जिसकी बदौलत आज लड़कियां उन कामों को करने में भी गुरेज नहीं कर रही हैं, जिनके लिए पुरुषों को ही प्राथमिकता दी जाती है। समाज की बहन बेटियां भी बसों को चलाएगीं तो महिलाएं भी यात्रा के दौरान अपने आपको सुरक्षित महसूस कर सकेंगी। 

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