मुख़्तार मयी, एक इंटरनेशनल वकील। महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली। 14 साल पहले। गांव के लोगों ने सजा सुनाई थी। गैंगरेप कर भरे बाज़ार जलील करने की। इन्साल्लाह दरिंदों को मौक़ा मिला। तारीख भी तय थी और वक़्त भी। ऐसा ही हुआ। मुख़्तार को गैंगरेप करने के बाद भरे बाज़ार नंगा घुमाया गया। गुनाह। गुनाह ये कि मयी के भाई ने गांव के किसी बड़े का अपमान किया था। और उस अपमान के बदले बहसियों ने मुख़्तार की आबरू जार-जार कर दी।
अब 14 साल बाद पाकिस्तान के कराची में होने वाले पाक फैशन वीक में मुख़्तार मयी को रैंप वॉक के लिए बुलाया गया। जहां पाकिस्तान के सभी जाने-माने और बड़े लोग पहुंचते हैं। वहां मुख्तार ने जब रैंप वॉक किया तो उस रेड कारपेट इवेंट में कैमरों की चकाचौंध वो शरमा रही थीं। रैंप वॉक के बाद मुख़्तार मयी। ऑडियंस की तरफ़ गईं। जहां इनके साथ सेल्फी लेने वालों की भीड़ लगी हुई थी। इस फैशन इवेंट की शुरुआत ही इस वजह से की गई थी कि पाकिस्तान के स्ट्रिक्ट ड्रेस कोड और मुस्लिम फंडामेंटलिस्ट ढर्रे को तोड़ा जाए।
घटना 2002 की थी। जब मुख़्तार के साथ इस तरह की वारदात हुई। और अब साल है 2016। पूरे 14 साल बीत चुके। लेकिन इस रैंप वॉक के पीछे एक लंबा संघर्ष रहा। मुख़्तार ने कोर्ट में अपनी लड़ाई लड़ी। बवजूद इसके कि पाकिस्तान में महिलाओं के ऊपर इतने बंधन हैं। उन्होंने दोषियों को कोर्ट तक घसीटा, उन्हें सजा हुई। कुछ को सजा-ए-मौत भी दी गई थी। लेकिन बाद में उन्हें माफ़ी मिली। खैर...
दुनिया की बाकी लड़कियों के लिए मयी एक उदाहरण हैं। शायद वो भी हार जातीं। लेकिन उन्होंने हारना ठीक नहीं समझा। अपने लिए लड़ना जरूरी समझा। आज महिला अधिकारों के लिए लड़ने वाली इंटरनेशनल वकील हैं वो। अपने गांव में महिलाओं के लिए एक शेल्टर और एक स्कूल भी चलाती हैं। और अब दुनियाभर की महिलाओं के लिए आवाज़ बनना चाहती हैं। जिससे दुनियाभर की महिलाएं जागें और अपनी हक़ की लड़ाई लड़ें।
NDTV और IE में छपी खबर के मुताबिक़ मुख़्तार माय कहती हैं, "मैं अपनी बहनों से कहती हूं कि आप उम्मीद ना खोएं, एक न एक दिन हमें हमारा हक जरूर मिलेगा।"