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स्नेहलता..... नाम है उस लड़की का जिसने सारे रीति रिवाज एक झटके में तोड़कर दरकिनार कर दिए। उन रिवाजों को भी जो सदियों से नहीं न जाने कितने समय से हमारे समाज में चले आ रहे थे, उन रिवाजों की किताब को पलटकर बैंक में असिस्टेंट मैनेजर स्नेहलता ने वो किया जो उसके दिल ने किया और उसके मां बाप ने उसे सिखाया।
उसने आम लड़कियों की तरह अपनी बारात अपने घर नहीं बुलाई, बल्कि रीति रिवाजों के उलट खुद बारात लेकर अपने दूल्हे के यहां पहुंची। नेवी में कमांडर उसका होने वाला पति भी हाथों में वर माला लिए उसका उसी तरह इंतजार कर रहा था जैसे कोई दुल्हन करती है।
लड़के के घर बारात आई तो उसमें नाचते गाते उसके मां बाप और अन्य बाराती भी थे। यह शादी कई मायनों में भारतीय रीति रिवाजों के पूरी तरह उलट रही, केवल बारात के मायने में नहीं और तमाम मायनों में भी, मसलन दान दहेज की यहां कोई बात नहीं थी, खाने पीने के लिए भी कोई लंबा चौड़ा मजमा नहीं लगाया गया, चुनिंदा पकवानों से मेहमानों का सत्कार किया गया। चलिए अब आपको इन मोहतरमा का परिचय भी दे देते हैं।
मुंबई में एक प्राइवेट बैंक में असिस्टेंट मैनेजर की पद पर नौकरी करने वाली स्नेहलता मूल रूप से पटना के दानापुर की रहने वाली हैं। कुछ दिन पहले ही उनका रिश्ता मधुबनी के रहने वाले नेवी में असिस्टेंट कमांडर अनिल यादव से हुई। सगाई होते ही यह रिश्ता आसपास के साथ ही हर जगह चर्चित हो गया।
उसकी एक बड़ी वजह ये थी कि सगाई के साथ ही स्नेहलता ने तय कर दिया था कि बारात लेकर अनिल नहीं वो उनके घर आएंगी। स्नेहलता की इस शर्त पर पहले तो अनिल चौंके लेकिन जब लगा कि वह पीछे हटने वाली नहीं हैं तो वह और उनका परिवार इसके लिए तैयार हो गया।
असल में स्नेहलता ने अनिल से बताया कि उसके मां बाप ने उसकी परवरिश बिल्कुल इसी तरह की है जैसे दूसरे मां बाप अपने बेटों की करते हैं और उनकी ही ये इच्छा थी कि बेटी बारात लेकर दूल्हे के घर जाए। अनिल ने स्नेहलता और उनके परिजनों की इस इच्छा का सम्मान रखते हुए इस शर्त और रिश्ते के लिए हां कर दी। बस फिर क्या था उसी दिन से इस शादी का इंतजार शुरू हो गया था।
शादी से पहले ही यह रिश्ता अखबारों की सुर्खियां भी बन चुका था। स्नेहलता के पिता विनोद राय ने बताया कि उनकी तीन बेटियां हैं, छोटी बेटी विनीत पुणे से एमबीबीएस कर रही हैं तो सबसे छोटी विदुषी फैशन डिजाइनर हैं।
विनोद खुद नेवी में रहे हैं, कहते हैं कि कभी लगा ही नहीं बेटियां बेटों से किसी मायने में कम हैं। स्नेहलता अपनी बारात लेकर दानापुर आर्मी मैरिज हॉल पहुंची तो देखने वालों का तांता लग गया।
बग्गी पर बैठी स्नेहलता के साथ उसकी दोनों बहने भी थीं और आगे माता पिता बैंड बाजे पर नाचते-गाते चल रहे थे। इसके बाद तमाम रीति रिवाजों के साथ यह विवाह संपन्न हुआ।