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भारत भर के खादी आउटलेट्स में कुछ नया मिलने वाला है। आपको पता है अब से आपको इन आउटलेट्स में कुछ नए लोगों द्वारा ख़ास तौर पर बनाए गए सामान मिलेंगे। ये वो लोग हैं जिनके बारे में सुनकर पहले तो आपको घृणा होगी। लेकिन बाद इन लोगों को लेकर शायद आपकी राय बदल जाएगी।
हम बात कर रहे हैं तिहाड़ के कैदियों की। जैसा कि आप जानते ही होंगे कि जेल में अपनी सज़ा काट रहे लोग अंदर रहकर कई सारे काम करते हैं। ये लोग तरह-तरह की चीज़ें भी बनाते हैं। अब इन्हीं चीज़ों को भारत के खादी भंडारों में बेचा जाएगा। ये कैदी कपड़े, फ़र्नीचर, कंबल, स्टेशनरी और सजावट के कई सामान बनाते हैं।
ऐसा करने के पीछे मकसद ये है कि ये कैदी अलग-अलग काम करके खुद को सकारात्मक कामों में लगा सकें। की वी आई सी के चेयरमैन वी.के. सक्सेना ने कहा कि इन कैदियों द्वारा बनाए गए सामान को बेचने से समाज इनको अपना सकेगा और इनकी स्थिति भी कुछ बेहतर होगी।
यहां सिर्फ़ तिहाड़ का ही नहीं बल्कि दूसरी जेलों के सामान को भी शामिल किया जाएगा। इन सामानों को बनाने के लिए कैदियों को जो भुगतान किया जाता है उसे भी बढाने का प्रावधान किया जाएगा। इससे देश में बने फैब्रिक की मांग भी बढ़ जाएगी।
अभी कैदियों को एक चीज़ बनाने के साढ़े पांच रुपए तक मिलते हैं। इसे बढ़ाकर 7 रुपए कर दिया गया है। अभी तक हर साल देश में खादी का उत्पादन करीब 1,065 करोड़ का है जिसे बढ़ाकर 5000 करोड़ तक करने की योजना है। अच्छा काम करने पर इन कैदियों को मिलने वाले पैसों में बढ़ोतरी भी की जाएगी।
ये निश्चित तौर पर एक बहुत अच्छा फैसला है। इससे इन लोगों को अपना जीवन एक बेहतर दिशा में ले जाने का मौका मिलेगा। साथ ही आम लोगों के मन में जेल में सज़ा काट रहे लोगों की छवि भी सुधरेगी। हम हर कैदी को एक तराज़ू में तोलते हैं, लेकिन हमें भी ये समझना होगा कि सारे अपराध एक ही श्रेणी में नहीं आते और कई बार हालात कुछ ऐसे होते हैं कि सुबूत के अभाव में केस लंबे खिंच जाते हैं और अंदर बैठा व्यक्ति बस अपनी रिहाई का इंतज़ार ही करता रह जाता है।