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मैं नोएडा की सड़क हूं, NCR की सबसे बड़ी बेटी.. मेरा जन्म आधुनिकता के दिनों में हुआ था, जब दिल्ली अपने चेहरे पर उम्र की बढ़ती झुर्रियां से परेशान हो रही थी तो मेरे सरकारी ससुर ने ‘विकास’ को पाल-पोष कर बड़ा करने की जिम्मेदारी मुझे दे दी। मैंने भी इस जिम्मेदारी को सबका आदेश मानकर स्वीकार किया। मुझे याद है कि शुरुआती दिनों में मैं तन्हा, डरी-सहमी… धूल मिट्टी के गुबार में कई कई दिनों तक अकले पड़ी रहती थी… हां, उन दिनों कुछ बड़े लोग अपनी बड़ी-बड़ी गाड़ियों से आकर, मुझे सजाने संवारने की बातें किया करते थे… सच बताऊं तो मैं उन बातों को सुनकर रोमांचित हो जाया करती थी।
फिर लोगों का आना-जाना मंद गति से शुरू हुआ, मेरी मौसी की बेटी ‘मेट्रो’ ने इस मंद गति को तेजी में तब्दील कर दिया। फिर क्या था दिल्ली, गुड़गांव, गाजियाबाद, फरीदाबाद के सारे बच्चे मुझसे रोज मिलने आने लगे। मेरे जो बगीचे विरान बड़े थे वहां क्रंकीट के बड़े-बड़े पेड़ उग आए, जिनकी छांव में आज भी बहुत सारे परिवार पल-बढ़ रहे हैं।
मेरी चौड़ी-चौड़ी सड़कों की चर्चा दूर दराज तक होने लगी। मेरा यौवन जब निखार पर आया तो सड़कों पर छोटे-मोटे गड्ढे अपनी जगह बनाने लगे, मैने लोगों को संकेत दिया कि इसका इलाज जरूरी है लेकिन रोज की भागम-भाग में कोई कुछ सुनने को तैयार नहीं था। जिन संकरी नालियों पर मुझे भरोसा था, वक्त के साथ आज उन्होंने भी आंखें दिखाना शुरू कर दिया है, मेरी नालियों को आवारा कचरों ने अपना अड्डा बना लिया हैं, पॉलिथीन्स को रोककर वो घंटों वहां बजबजाहट भरा गलचौरा किया करते हैं।
आज की बारिश ने मेरी सारी पीड़ा को सड़कों पर लाकर रख दिया। आज मेरे घर आने वाले लोगों के सामने मेरा दर्द उभर कर दिखाई दे गया। आज पूरा शहर मेरे गालों पर गड्ढे (जो अब गहरे जख्म बन चुके हैं) की ओर ताक रहा है। जो सरकारें मुझे सजाने का वादा करके गई थी आज वो फिर वैसे ही वादें कर रही हैं जैसे पहले किया करती थी। अब तो मुझे याद भी नहीं कि आखिरी बार मैने अपने गालों पर तारकोल वाला फेशियल कब करवाया था। मैं बुजुर्ग नहीं हुई हूं, बस उस पत्नी की तरह हो गई हूं... जो न मिलने तक एक हसीन हसरत थी…
मुझे पता है कि आज की मेरी पीड़ा देखने के बाद आप फिर मुझे भूल जाओगे, जब पानी भरेगा तो आप सरकारों को कोसोगे, मौजूदा सरकार पुरानी सरकार को कोसेगी… और पुरानी वाली सरकार, उससे पुरानी वाली सरकार को.... जब मैं खूबसूरत थी तो मेरा इस्तेमाल सबने किया, हर किसी को मैं प्यारी लगती थी लेकिन आज जब मैं दर्द में कराह रही हूं तो मेरी कोई सुनने वाला नहीं… कोई तो मेरी आवाज सुनो…