तब भी 'प्रपोज़ डे' ही था और आज भी 'प्रपोज़ डे' है। बस अंतर है तब साल 1994 था और आज हम 2017 में पहुंच चुके हैं। आज 2017 में प्रेम के महीने में प्रेमी जोड़े आपस में व्हाट्सएप पर बार-बार प्रपोज़ करके एक दूसरों के अलग-अलग जवाब देख कर दिल बहला रहे हैं।
लेकिन, तब एक अलग प्रपोज़ल हुआ था। वो प्रपोज़ल क्रिकेट के साथ हुआ था। क्रिकेट के उस मैदान से हुआ था और उस सिली हुई बॉल से हुआ था। उन सब के ऐतिहासिक होने का वक़्त आ गया था। क्योंकि हिंदुस्तान के इतिहास का सबसे धाकड़ ऑल राउंडर एक नया रिकॉर्ड कायम करने वाला था। इतिहास के पन्नों में नया अध्याय जुड़ना था।
श्रीलंकाई क्रिकेट टीम इंडिया के दौरे पर थी। तीन टेस्ट मैचों की सीरीज का तीसरा मैच होना था। मैदान था, अहमदाबाद का। अरब सागर से उठने वाली हवा हल्की नमी लिए गुज़रात की धरती पर बह रही थी। मैदान भरा हुआ था। तीसरे टेस्ट मैच का पहला दिन, श्रीलंका ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी का फैसला किया।
मैच का पहला घंटा बीत चुका था। घड़ी की सुइयां बढे जा रही थीं। घंटे का कांटा 10 के आगे 11 को छूने को बेकरार था और मिनट की सुईं 12 के आगे 6 कदम चल चुकी थी। बॉल कपिलदेव के हाथ में था। हरियाणा का धाकड़ धावक जिसने हिंदुस्तान को पहला वर्ल्ड कप दिलवाया था। मैच के पहले घंटे का 8वां ओवर। कपिल देव ने बॉल फेंकी। सामने बैटिंग एंड पर खड़े एच.पी. तिलकरत्ने ने बॉल को हल्के से खेल दिया। बॉल सीधे शॉट पर खड़े संजय मांजरेकर के हाथ में थी। श्रीलंका ने 39 रनों पर 2 विकेट गंवा दिए थे।
कपिलदेव ने अपने 432 विकेट पूरे कर लिए थे। इतिहास लिखा जा चुका था। रिचर्ड हेडली का रिकॉर्ड टूट चुका था। दुनिया को नया सितारा मिल गया था। जिसे क्रिकेट ने अपना बना लिया था। पूरे मैदान के ऊपर हवा में 432 गुब्बारे उड़ रहे थे। पूरा मैदान अपनी कुर्सियों से खड़ा हो चुका था। वास्तव में पूरा देश खड़ा था। हिंदुस्तान की गलियों से तालियों की गूंज अहमदाबाद तक पहुंच चुकी थी।
मैदान पर कपिलदेव की पत्नी रोमी भी मौजूद थीं। लोगों ने मैदान पर ही उन्हें भी बधाई देनी शुरू कर दी।
लेकिन तभी दूरदर्शन की स्क्रीन मैच के बीच में ही बदल गई। जिस टीवी स्क्रीन पर अभी थोड़ी देर पहले तक मैच का सीधा प्रसारण चल रहा था। वहां अब एक गाना बजने लगा था। अचानक ही। लेकिन ये मैच से जुड़ा हुआ था। वास्तव में ये गाना था, 'हकीकत है ये ख्व़ाब नहीं, कपिल देव का जवाब नहीं।' जिसे कपिलदेव के सम्मान में चलाया गया था।
आखिरकार इंडिया मैच जीत गई। श्रीलंका 3-0 से टेस्ट सीरीज हार कर वापिस गया। लेकिन, उस टूर्नामेंट की जीत से भी बड़ी बात कपिल का नया रिकॉर्ड हो गया था। जैसे टूर्नामेंट की जीत सोने पर सुहागा की तरह चढ़ गई हो।
ऐसा शायद ही कभी हुआ हो, हिंदुस्तान के क्रिकेट इतिहास में कि एक खिलाड़ी खेल से भी बड़ा हो गया था। देश के लिए। शायद सचिन के लिए भी ऐसा मौक़ा नहीं आ पाया कभी। तभी तो विस्डन लिस्ट सर्वे में कपिल देव इंडियन क्रिकेटर ऑफ़ द सेंचुरी से नवाजे गए।
वो रिकॉर्ड 6 साल तक ऐसे का ऐसा बना रहा। साल 2002 में वेस्ट इंडीज के 'कर्टनी वॉल्श' ने कपिल के 434 विकटों के रिकॉर्ड को तोड़ा। आज की तारीख में ये रिकॉर्ड श्रीलंका के 'मुथैय्या मुरलीधरन' के नाम है। इनके नाम 800 विकेट हैं।