Home Lifestyle Viral And Trending Advertisement Of Czech Company Product Miswak Raw Tootthbrush

ये विदेशी कंपनी 300 रुपए में बेच रही है एक दातुन, विज्ञापन देखकर हंसी नहीं रोक पाएंगे

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Sat, 15 Apr 2017 02:19 PM IST
विज्ञापन
Viral and Trending advertisement of Czech Company product Miswak Raw tootthbrush
विज्ञापन

विस्तार

मिस्वाक का नाम आप लोगों ने जरूर सुना होगा और इसके बारे में सबसे पहले शायद आपको तब पता चला होगा जब आपने टीवी पर मिस्वाक टूथपेस्ट का विज्ञापन देखा होगा। अगर आपने मिस्वाक इस्तेमाल किया है तो समझ लीजिए कि आप प्रकृति के बहुत करीब हैं। इसे आप नीम की दातून की तरह समझ सकते हैं। ये अरब और अफ्रीकी देशों में मशहूर है। कुरआन में भी इसके इस्तेमाल पर जोर दिया गया है। भारत में ये शायद आपको फ्री में मिल जाए लेकिन एक चेक कंपनी इसे 300 रुपए में बेच रही है।


ये भी पढ़ें-  एक छोटी सी गलती ने पूरे परिवार की जान ले ली


यह बात कल्पना से परे लगती है, लेकिन सच है। भारत में अगर आप इसी दाम में किसी को बेचेने चले जाएं तो शायद वो आपको मारने को दौड़ेगा, लेकिन पश्चिमी देश एक-एक करके पूरब की प्राकृतिक चिकित्सा की तरफ अपना झुकाव लगातार दिखा रहे हैं और उसे नए रूप में ढालकर अपने बाजार में बेच भी रहे हैं।
 

इसे योनी नाम की एक चेक कंपनी 'नेचुरल रॉ टूथब्रश' के रूप में बेच रही है। इस कंपनी ने अपने प्रोडक्ट को कुछ इस तरह से पेश किया है कि जैसे वो हनुमान जी की तरह कोई संजीवनी बूटी ढूंढ़ लाए हैं।
हकीकत तो यह है कि मानव 7000 सालों से इस लकड़ी का इस्तेमाल करता आ रहा है। इस दातून को रखने के लिए कंपनी वाले प्लास्टिक का एक कंटेनर भी देते हैं। उनके तौर-तरीकों से लगता है कि दातून बेहद बेशकीमती चीज है और उसे नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए।

इसे इस्तेमाल करते हुए लोग इस विज्ञापन में काफी हास्यास्पद लग रहे हैं। उनके लिए जैसे ये बिल्कुल नई खोज है। इसमें कोई शक नहीं कि इस दातून के ढेरों फायदे हैं, शायद तभी डाबर ने बहुत पहले इससे टूथपेस्ट बना लिया था। इस टूथपेस्ट की बात की जाए तो इसका स्वाद कुछ-कुछ सौंफ जैसा लगता है और इसकी खुशबू भी काफी अलग होती है। पश्चिमी देश एक-एक करके एशिया के खजाने को इस तरह से पेश कर रहे हैं जैसे कि ये उनकी खोज हों। 


ये भी पढ़ें- नॉर्थ कोरिया से भागी हुई लड़की बेहद चौंकाने वाले खुलासे कर रही है


कभी हल्दी तो कभी तुलसी, अमेरिका ने बहुत बार भारत के मसालों और जड़ी-बूटियों को पेटेंट करवाने की कोशिश की है। इसके बाद असल में होता ये है कि केवल पेटेंट लेने वाला देश ही उस मसाले आदि को उगा सकता है और उसका व्यापार कर सकता है। बाबा रामदेव भी अपने एक विज्ञापन में कहते हैं कि पहले तो इन विदेशी कंपनियों ने भारतीय जड़ी बूटियों का मजाक उड़ाया और अब ये इन्हीं को वापस अपनाकर अपना बाजार चमका रही हैं।


विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree