हम विज्ञान के दौर में हैं, हम तकनीक के दौर ज़िन्दा हैं। हम मशीन तैयार कर रहे हैं और वो मशीन हमारे जीने का सलीका, जिसपर आराम नाम की चासनी लिपटी होती है।
आज हम आपको टेक्नोलॉजी के ऐसे ही एक इस्तेमाल के बारे में बताने वाले हैं। शुरूआती दौर में जब कार तैयार किया गया था तब उसे पार्किंग में लगाने के लिए उसके पीछे-पीछे एक आदमी चिपका होता था। ये मैं उस वक़्त की बात कर रहा हूं, जब कारों में फिटेड बेक गियर आ रहे थे। तब लुकिंग ग्लास का इस्तेमाल धीरे-धीरे शुरु हुआ।
लेकिन वक़्त के साथ तकनीक बदली, सोचेने का तौर-तरीका बदला फिर काम को आसान करने का जुगाड़ आया। उसी का परिणाम है जो आपको गाड़ियों के पीछे लगे ये छोटे-छोटे गोल गोल पैच दिखते हैं।
वास्तव में ये जो पैच हैं वो गाड़ियों को बैक करने के दौरान ठुंकने से बचने के लिए लगाए जाते हैं। इससे होता ये है कि जब हम गाड़ी को कहीं पार्किंग में बैक करके खड़े कर रहे होते हैं या फिर किसी भीड़-भाड़ वाली जगह पर बैक करके घुमाना होता है तो ये सेंसर गाड़ी के अंदर बैठे ड्राईवर को बताते हैं कि पीछे और कितनी जगह बची है या फिर गाड़ी के पीछे कुछ टकरा नहीं रहा है।
इस टेक्नोलॉजी को आज कल थोड़ा और अपग्रेड किया गया है। अब इन सेंसर्स के साथ इन पैच के बीच एक कैमरा भी फिट क्या जाता है। जिससे अब आपको सेंसर के साथ-साथ पीछे कुछ सट तो नहीं रहा उसे देखने की भी सुविधा होती है। आज कल बाज़ार में आने वाले लगभग हर एक SUV और सेडान कारों में इसकी सुविधा दी जाती है।
अच्छा एक और बात यहीं जोड़ दें। अब कभी कहीं पार्किंग में या कारों के पीछे अपनी महबूबा से इश्क फरमाने से पहले ये बात दिमाग में डाल लीजिएगा कि आप पर नज़र रखी जा रही हो सकती है।