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गली-मोहल्ले या सड़क से गाड़ियां ले जाते वक्त कुत्ते ऐसे भौंकते हैं जैसे हमसे उनकी पुरानी दुश्मनी हो। बाइक पर हों तो लपक कर काटने की कोशिश भी करते हैं। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इन कुत्तों को ऐसा करने से कौन सी खुशी मिलती है?
गाडियों को ही नहीं, ये कुत्ते अपनी ही तरह किसी और नस्ल के कुत्तों को देख लें तो भौंकना शुरू कर देते हैं। अपने एरिया में ये कुत्ते, 'शेर' की तरह होते हैं। न ही किसी विदेशी जानवर को देख सकते हैं और न किसी विदेशी मेहमान को। इनके भौंकने के अंदाज से ही इनकी पहचान 'मोहल्ले के कुत्तों' के नाम से हुई। लोगों ने जवाब ढूंढ़ लिया कि आखिर इन कुत्तों को गाड़ियों और बाइक से क्या दुश्मनी होती है। आगे की स्लाइड्स में पढ़ें-
'कुत्ते' को एक समझदार जानवरों में गिना जाता है। ये जानवर जिस एरिया में रहते हैं वहां अपनी पहचान और दबदबा बनाकर रखते हैं। कुत्ते की इस आदत के लिए वैज्ञानिक भी उसके बुद्धि की दाद देते हैं। दरअसल ये कुत्ते अपनी पहचान छोड़ने के लिए टायरों, खंभे, और दीवारों पर ही पेशाब करते हैं। पेशाब की दुर्गंध इन कुत्तों के लिए मैसेंजर का काम करती है।
ज्यादातर कुत्ते गाड़ियों के टायर पर पेशाब करते हैं जब वो गाड़ी किसी दूसरी गली मोहल्ले से गुजरती है तो कुत्तों को उसकी दुर्गंध आ जाती है और कुत्तों को वो सहन नहीं होती। जिससे वो भौंकना शुरू कर देते हैं। किसी दूसरे मोहल्ले के कुत्ते जब किसी और इलाके में घुसते हैं, तो कुत्ते उससे लड़कर सामना करते हैं।