कहां गया ईसा मसीह का वो 'जादुई प्याला', जिसको इस्तेमाल करने के बाद अमर हो जाता था इंसान
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Published by: Ayush Jha
Updated Sat, 15 Feb 2020 10:56 AM IST
विज्ञापन
प्रतिकात्मक तस्वीर
- फोटो : सोशल मीडिया
विज्ञापन
विस्तार
इस दुनिया में हर धर्म से जुड़े किस्से-कहानियां हैं। पवित्र चीजें होती हैं, जिनको लेकर उस धर्म के अनुयायी क्रेजी होते हैं। ऐसी ही धार्मिक किंवदंती है 'द होली ग्रेल' की। ईसाई धर्म से जुड़े किस्से-कहानियों में आपने 'द लास्ट सपर' का जिक्र जरूर सुना होगा। अगर नहीं तो इस वाकये की एक पेंटिग तो जरूर देखी होगी, जिसे इटली के महान चित्रकार लिओनार्दो दा विंची ने बनाया था। इस पेंटिग में ईसा मसीह को अपने बारह धर्म प्रचारकों के साथ खाना खाते दिखाया गया है। इस पेंटिंग में खाने की थाली के साथ एक प्याला नजर आता है। इस प्याले को 'होली ग्रेल' के नाम से जाना जाता है।
ईसाई धर्म की मान्यता के मुताबिक, होली ग्रेल एक जादुई प्याला है, जिसके इस्तेमाल से इंसान अमर हो जाता है। इस प्याले से बहुत से किस्से-कहानियां और दावे जुड़े हैं। दुनिया के लगभग सभी प्राचीन चर्चों में ये प्याला रखा दिखाई दे जाएगा और सभी उसके असली होने का दावा करते हैं। अकेले यूरोप में ही करीब 200 जगहें दावा करती हैं कि उनके पास जो प्याला है वही असली होली ग्रेल है।
असली होली ग्रेल होने का दावा करने वाले तमाम ठिकानों में से एक है स्पेन का शहर वैलेंसिया। वैलेंसिया, स्पेन का तीसरा बड़ा शहर है। यहां आने पर आप को तरक्की के बावजूद वक्त के ठहर जाने का अहसास होता है। शहर पुराना है, बाजार और गलियां पुरानी हैं, मगर यहीं पर आप को चर्च के ठीक बगल में लोग कॉफी शॉप में गप लगाते भी दिख जाएंगे। वैलेंसिया के ही एक बहुत पुराने चर्च में होली ग्रेल होने का दावा किया जाता है। इस चर्च का नाम है वैलेंसिया कैथेड्रल। यहां रखा एक प्याला जिसे स्पेनिश जबान में सांतो चैलिस कहते हैं, उसके होली ग्रेल यानी वो प्याला जिसे प्रभु यीशु ने इस्तेमाल किया था, होने का दावा सदियों से किया जाता रहा है।
आज भी दुनिया भर से श्रद्धालु होली ग्रेल के दर्शन के लिए वैलेंसिया आते हैं। यहां तक कि पोप जॉन पॉल द्वितीय और पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने धार्मिक आयोजनों में इस प्याले का इस्तेमाल किया। होली ग्रेल का जिक्र बाइबिल में नहीं मिलता। ये तो बाद की धार्मिक कहानियों और लोक कथाओं का हिस्सा बना। होली ग्रेल का सबसे पहले जिक्र आया था, ब्रिटेन के राजा किंग ऑर्थर से जुड़े किस्से-कहानियों में। राजा ऑर्थर और उनकी सेना की वीरता के किस्से बताने वाले महाकाव्यों में फ्रेंच कवियों ने होली ग्रेल का जिक्र किया था। प्राचीन काल में फ्रांस के दो बड़े कवियों रॉबर्ट दी बोर्नो और शेरेटिन द ट्रॉय ने अपनी कविताओं में राजा आर्थर के जमाने की कहानियों को और बढ़ा चढ़ाकर लिखा। द ट्रॉय ने इसका देगची या बड़ी डिश के तौर पर जिक्र किया है।
श्रद्धालुओं के लिए होली ग्रेल यानी पवित्र प्याले का मजहबी महत्व होगा, लेकिन रिसर्चरों के लिए इसका साहित्यिक महत्व ज्यादा है। स्पेन के वैलेंसिया में रखे प्याले वाले कैथेड्रल को 'ला केपिला देल सेंतो चैलिस' कहते हैं। मतलब पवित्र प्याले का चर्च। यहां ये प्याला एक अलग कमरे में शीशे के फ्रेम में बंद है। प्याले के दोनों तरफ सोने के बड़े हैंडल हैं। जिस स्टैंड पर ये प्याला रखा है उसकी पेंदी पर पन्ना और माणिक्य जैसे कीमती पत्थर जड़े हैं। हालांकि फिल्मी कल्पनाओं में होली ग्रेल को एक साधारण से लकड़ी के प्याले के तौर पर दिखाया गया है। जैसे कि मशहूर हॉलीवुड सीरीज की फिल्म इंडियाना जोन्स एंड द होली ग्रेल में जिस पवित्र प्याले को दिखाया गया है वो लकड़ी का बना है। ऐसे में सोने और जवाहरात से जड़ा ये प्याला मन में सवाल पैदा करता है। चर्च के लोगों के मुताबिक इस स्टैंड पर जो छोटा सा कप रखा है वही असली होली ग्रेल है। इसके हैंडल और पेंदी मध्यकालीन दस्तकारी का नमूना है, जिसे अब से कुछ समय पहले ही इसके साथ जोड़ा गया है।
माना जाता है कि प्रभु यीशु के आखिरी भोज का वाकया यरूशलम में हुआ था। तो फिर ये पवित्र प्याला स्पेन तक कैसे पहुंचा? कहा जाता है कि दो हजार साल पहले रोम के पहले पोप सेंट पीटर इसे सबसे पहले यरूशलम से रोम लेकर आए थे और सेंट पीटर ने ही लोगों को बताया था कि यही होली ग्रेल है जिसका इस्तेमाल प्रभु यीशु ने अपने आखिरी खाने के समय किया था। 257 ईस्वी में जब रोम में राजा वलेरियन ने ईसाईयों को सताना शुरू किया तो इस पवित्र प्याले को स्पेन के शहर ह्यूस्का में सुरक्षित जगह पर भेज दिया गया। इस शहर में ये प्याला कुछ सदियों तक रहा, लेकिन आठवीं शताब्दी में जब यहां उमय्यद खलीफाओं के हमले बढ़ने लगे, तो लूटपाट के डर से इसे उत्तरी स्पने के सेन जुआन दी ला पेना ईसाई मठ में सुरक्षित कर दिया गया।
सदियों तक ये पवित्र प्याला एक जगह से दूसरी जगह जाता रहा, लेकिन इसके सफर के शुरुआती एक हजार साल की कहानियों की तस्दीक करना मुश्किल है। इसके सफर से जुड़ी तमाम कहानियां सिर्फ मौखिक रूप से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंची हैं। इसका कोई लिखित सबूत मौजूद नहीं है। फिर भी 1399 के एक दस्तावेज पर यकीन किया जा सकता है, जब इसे स्पेनिश इलाके एरागोन के राजा किंग मार्टिन की समाधि का हिस्सा बनाया गया।
कैथेड्रल रिकॉर्ड के मुताबिक 1416 में जब अल्फोंस ने गद्दी संभाली तो किंग मार्टिन के मकबरा का तबादला वैलेंसिया कर दिया गया। प्याला भी साथ में यहां आ गया। बाद में इसे कैथेड्रल को सौंप दिया गया। हालांकि कई लड़ाइयों में इस पवित्र प्याले को लूटा गया, लेकिन 1939 में ये फिर से वैलेंसिया कैथेड्रल को सौंप दिया गया।
हालांकि जितने भी चर्च अपने पास असली होली ग्रेल होने का दावा करते हैं उन सभी के पास अपने दावे को पुख्ता बनाने के लिए ऐसी ही कहानियां हैं। लेकिन, वैलेंसिया के चर्च के होली ग्रेल के असल होने का दावा ज्यादा मजबूत लगता है। स्पेन के पुरातत्वविद एंतोनियो बेलट्रन ने इस पवित्र प्याले का अध्ययन किया था। इनके मुताबिक गोमेद पत्थर से बना ये कप पहली और दूसरी शताब्दी के दरमियान का है और इसे मध्य एशिया में बनाया गया है।
2014 में दो इतिहासकारों ने 'किंग ऑफ द ग्रेल' नाम की एक किताब लिखी, जिसमें उत्तरी स्पेन के चर्च बैसिलिका ऑफ सेन इसीडोरो ऑफ लिओन में असली होली ग्रेल होने का दावा किया है। इन इतिहासकारों का ये दावा हाल में मिली प्राचीन मिस्री हस्तलिपि पर आधारित है। वैलेंसिया के चर्च की तरह इनके पास भी अपने तर्क के समर्थन में बहुत सी कहानियां हैं, लेकिन इन इतिहासकारों का दावा वैलेंसिया में होली ग्रेल या पवित्र प्याला होने की थ्योरी को नकारता है।
बहरहाल पवित्र प्याले को लेकर दावे और कहानियां तो बहुत हैं, लेकिन पुख्ता तौर पर असली पवित्र प्याला अभी भी रहस्य बना हुआ है। इस प्याले से ज्यादा दिलचस्प हैं इससे जुड़ी कहानियां। असली होली ग्रेल कभी किसी को मिलेगा या नहीं, कहना मुश्किल है। लेकिन इसकी तलाश और इससे जुड़ी कहानियां हमेशा चलती रहेंगी।
हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर और व्यक्तिगत अनुभव प्रदान कर सकें और लक्षित विज्ञापन पेश कर सकें। अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।
अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।