Home Omg Crying Club Opened In Surat Gujarat

यहां आंसू बहाने की लगती है होड़, टाइम निकालकर रोने आते हैं लोग, आखिर क्यो?

Updated Thu, 29 Jun 2017 03:26 PM IST
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Crying Club
Crying Club - फोटो : Gujarati Midday
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विस्तार

हमारे समाज और संस्कार में क्लबबाजी का कीड़ा कब घुसा इसके बारे में किसी को पता नहीं होगा। देखते ही देखते क्लबों के कल्चर को हमने कबूल कर लिया है। आलम ये है कि हमारी शुरुआत होती है योगा क्लब से और रात खत्म होती है डिस्को क्लब में। 

जिम क्लब में हम पसीना बहाते हैं और बियर क्लब में पैसा… ऑफिस का अलग क्लब है, सोसाइटी वालों का अलग क्लब होता है, अगर आप भी इस क्लबबाजी वाली जमात के प्राणी हैं तो अब आप अपनी लिस्ट में नया नाम जोड़ लीजिए 'क्राईंग क्लब...'

गुजरात के सूरत में एक क्राइंग क्लब खुला है। योगा और म्यूजिक क्लब की तर्ज में इस क्लब में हफ्ते में एक दिन क्राइंग थेरेपी दी जा रही है। इस क्लब में लोग अपने जीवन के तनाव को दूर करने के लिए पहुंच रहे हैं। यहां लोगों को उनकी जिंदगी के पुराने और दर्द भरे पलो को याद कराया जाता है। 

 
इस क्लब का आइडिया आया लॉफ्टिस्ट और साइक्लोजिस्ट कमलेश मसालावाला के दिमाग में। कमलेश ने 80 लोगों को कई घंटों तक रुलाने की कोशिश की, वो कामयाब कितने हुए ये कह पाना जरा मुश्किल है लेकिन वैज्ञानिक तरीकों से ये बताया जा रहा है कि रोना किस तरीके से आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। ...और जैसा कि हमारी नीयत हो चुकी है कि बिना फायदे के हम कोई काम नहीं करते, उसी तरह रोने के फायदे जानने के बाद क्लब की तरफ लोगों का आकर्षण बढ़ता दिखाई दे रहा है। 

फिलहाल तो इस क्लब की कोई फीस नहीं है लेकिन आने वाले वक्त में ये क्लब मेंटिनेंस के नाम पर मोटी रकम वसूलने लगेगा तो कोई आश्चर्य भी नहीं होना चाहिए।  मतलब वो दिन दूर नहीं जब लोग घर से सजधर कर अच्छे कपड़े पहनकर, महंगी गाड़ियों में सफर करके रोने के लिए क्राइंग क्लब पहुंचेंगे। सोशल मीडिया पर अपने करीबी मित्रों को टैग करके लिखेंगे भी कि Enjoying Crying Session with mah new Friend… !

 
वैज्ञानिक तथ्यों के बारे में जान लेना जरूरी है नहीं तो जानकारी अधूरी कहलाएगी। विज्ञान के मुताबिक रोने के दौरान इंसान के शरीर से हानिकारक टॉक्सिन बाहर आ जाते हैं। इंसान के आंख से आंसू उस वक्त बाहर आते हैं जब वो किसी मामले पर ज्यादा भावुक होते हैं। आंख से निकले आंसू से तकलीफ देने वाले पदार्थ तो बाहर निकल ही जाते हैं साथ ही तनाव कम होता है और ब्लड प्रेशर भी नॉर्मल बना रहता है। 

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