कहते हैं जीवन में खुशियों के लिए रोना भी जरूरी है, क्योंकि हंसने के साथ रोना भी भावनाएं व्यक्त करने का तरीका है। जिंदगी की भागदौड़ में इंसानों को कई बार रोने तक की फुर्सत नहीं होती है, जिसके चलते डिप्रेशन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। इसी तरह व्यक्ति जब काफी परेशान रहता है तो उसे अपना दुख-दर्द दूर करने के लिए एक ऐसे साथी की जरुरत होती है जोकि उसके दर्द को समझ सके।
आपने ऐसी कई जगह देखी होंगी जहां लोगों को हसाने की कोशिश की जाती है। कई क्लब भी हैं इसके अलावा आपने लाफ्टर थेरेपी के बारे में भी सुना ही होगा। लेकिन हम आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर शायद आपको यकीन भी ना हो। दुनिया में एक ऐसी जगह भी है जहां लोग सिर्फ रोने के लिए जाते हैं और हंसते हुए वापस आते हैं।
इंसान जब भारी तनाव में होता है तो उसे रोने का खूब मन होता है। कहा जाता है कि रोने से तनाव कम हो जाता है। तो आखिर ऐसा क्यों है? क्या रोना भी फायदेमंद है? लोगों को इस समस्या से बचाने के लिए गुजरात के सूरत में क्राइंग क्लब शुरू किया गया है, जहां इंसान खूब चिल्ला-चिल्लाकर रो कर अपने दिल के बोझ को हल्का करते हैं। माना जाता है कि रोने से उनका स्ट्रेस काफी कम हो जाता है।
इतना ही नहीं, इस क्लब में हर रविवार को क्राइंग थेरेपी की क्लास कराई जाती है, यहां आकर लोग अपने तनाव और अकेलेपन को दूर करते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लोगों को रुलाने के लिए उन्हें जिंदगी के बुरे पल और दुखद घटनाएं याद दिलाई जाती हैं। साथ ही उन्हें उस बात को याद करने के लिए भी कहा जाता है, जिसे याद कर वे सबसे ज्यादा भावुक हो जाते हैं। इसे देश का पहला क्राइंग क्लब बताया जा रहा है।
इस क्लब की स्थापना लॉफ्टर थैरेपिस्ट और साइक्लोजिस्ट कमलेश मसालावाला ने की है। पहले दिन 80 लोगों ने क्राइंग थेरेपी ली। कमलेश ने अलग-अलग तरीकों से लोगों को रुलाने की कोशिश की। साइलेंट क्राइंग का भी एक सत्र रखा गया, इसमें लोगों को आंख बंद करके रोने के लिए कहा गया। इसके अलावा क्राइंग क्लास में हर किसी ने जिंदगी की एक बुरी घटना को आपस में साझा किया। हालांकि इसकी कोई फीस नहीं रखी गई है।
मालूम हो कि क्राइंग थेरेपी एक वेंटिलेटर थेरेपी है, इसमें व्यक्ति को रुलाकर उसके शरीर से हानिकारक टॉक्सिन को बाहर निकाला जाता है। इंसान की आंख में आंसू उस वक्त आते हैं, जब वह किसी बात को लेकर ज्यादा भावुक होता है, जैसे दुख, खुशी या फिर ज्यादा हंसने पर। आंसू से आंख को तकलीफ देने वाला पदार्थ निकल जाता है।
डॉक्टरों के मुताबिक रोने से तनाव दूर होता है, ब्लड प्रेशर नॉर्मल और ब्लड सर्कुलेशन सामान्य रहता है। इस क्लब के अन्य लोगों का कहना है कि लोगों को नियमित तौर पर रोना चाहिए। यहां के संस्थापक आने वाले लोगों को रोने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। कहते हैं कि यह भी एक तरह की एक्सरसाइज है और इससे उन्हें काफी फायदा भी मिलता है।