Home Omg Know The Story Of Mysterious Village Of Malana People Believe They Are Decendants Of Alexander The Great

ये है भारत का रहस्यमय गांव, जहां के लोग खुद को मानते हैं सिकंदर का वंशज

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: Ayush Jha Updated Sun, 30 Aug 2020 10:34 PM IST
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Malana village
Malana village - फोटो : social media
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हमारा देश सदियों से अपने अंदर ऐसे कई रहस्यों को समेटे हुए है, जिसके बारे में बहुत कम लोगों को ही पता है। भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जिनके बारे में जानकर दुनियाभर के लोग हैरान हो जाते हैं। कुछ ऐसी ही जगह हिमाचल प्रदेश में भी है। यहां का एक गांव अपने आप में बेहद ही रहस्यमय है। इस गांव के लोग ऐसी भाषा में बात करते हैं, जो यहां के लोगों के अलावा किसी को भी समझ में नहीं आती है।
इस गांव का नाम है मलाणा। हिमालय की चोटियों के बीच स्थित मलाणा गांव चारों तरफ से गहरी खाइयों और बर्फीले पहाड़ों से घिरा है। करीब 1700 लोगों की आबादी वाला ये गांव सैलानियों के बीच खूब मशहूर है। दुनियाभर से लोग यहां घूमने के लिए आते हैं।
हालांकि, मलाणा तक पहुंचना बहुत ही मुश्किल है। इस गांव के लिए कोई भी सड़क नहीं है। पहाड़ी पगडंडियों से होते हुए ही यहां तक पहुंचा जा सकता है। पार्वती घाटी की तलहटी में स्थित जरी गांव से यहां तक सीधी चढ़ाई है। जरी से मलाणा तक पहुंचने में करीब चार घंटे लग जाते हैं।
इस गांव से जुड़े कई एतिहासिक किस्से हैं, रहस्य हैं और कई अनसुलझे सवाल हैं, जिसमें से एक ये है कि यहां के लोग खुद को यूनान के मशहूर राजा सिकंदर महान का वंशज बताते हैं। कहते हैं कि जब सिकंदर ने हिंदुस्तान पर हमला किया था, तो उसके कुछ सैनिकों ने मलाणा गांव में ही पनाह ली थी और फिर वो यही के होकर रह गए। यहां के बाशिंदे सिकंदर के उन्हीं सैनिकों के वंशज कहलाते हैं। हालांकि यह अभी तक पूरी तरह से साबित नहीं हुआ है। सिकंदर के समय की कई चीजें मलाणा गांव में मिली हैं। कहा जाता है कि सिकंदर के जमाने की एक तलवार भी इसी गांव के मंदिर में रखी हुई है।
यहां के लोग कनाशी नाम की भाषा बोलते हैं, जो बेहद ही रहस्यमय है। वो इसे एक पवित्र जबान मानते हैं। इसकी खास बात ये है कि ये भाषा मलाणा के अलावा दुनिया में कहीं और नहीं बोली जाती। इस भाषा को बाहरी लोगों को नहीं सिखाया जाता है। इसको लेकर कई देशों में शोध हो रहे हैं।
मलाणा के बुजुर्ग बाहरी लोगों से हाथ मिलाने और उन्हें छूने से भी परहेज करते हैं। अगर आप यहां की दुकान से कुछ सामान खरीदें, तो दुकानदार आपके हाथ में देने के बजाए वही पर रख देगा और साथ ही वो पैसे भी अपने हाथ में लेने के बजाए उसे रख देने को कहता है। हालांकि यहां की नई पीढ़ी इन सब बातों को नहीं मानती। उन्हें किसी बाहरी व्यक्ति से बात करने, हाथ मिलाने या गले मिलने से कोई परहेज नहीं है।
आपको जानकर हैरानी होगी कि इस गांव के लोग शादियां भी अपने गांव के भीतर ही करते हैं। अगर कोई गांव से बाहर शादी करता है, तो उसे समाज से बेदखल कर दिया जाता है। हालांकि ऐसा मामला शायद ही कभी सुनने को मिला हो। यहां की हशीश (चरस) भी काफी मशहूर है। दरअसल, चरस भांग के पौधे से तैयार किया गया एक मादक पदार्थ है।
इसकी सबसे बड़ी खूबी ये है कि मलाणा के लोग इसे हाथों से रगड़ कर तैयार करते हैं और फिर बाहरी लोगों की बेचते हैं। हालांकि, इसका प्रभाव गांव के बच्चों पर भी पड़ा है। बहुत कम उम्र में ही यहां के बच्चे ड्रग बेचने के धंधे में उतर जाते हैं। यही वजह है कि मलाणा में बाहरी लोगों को सिर्फ दिन में ही आने की अनुमति है, क्योंकि यहां के सारे गेस्टहाउस रात में बंद हो जाते हैं। यहां के लोगों का मानना है कि जमलू देवता ने ऐसा आदेश दिया है।
 
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