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वैसे तो मौत के बाद शरीर को सहज़ के रखी जाने वाली ममियों के लिए तो मिश्र दुनियाभर में जाना जाता है और वहां के लोगों की मान्यता भी है कि ऐसे रखने से शरीर बिल्कुल सुरक्षित रहता है, लेकिन आपको बता दें भारत में भी एक जगह ऐसी है जहां एक संत की ममी को रखा गया है और सबसे खास बात तो ये है कि निरन्तर उसके बाल और नाखून बढ़ते जा रहे हैं और ये प्राकृतिक ममी है यानी के इसके ऊपर किसी प्रकार के केमिकल्स का उपयोग नहीं किया गया है।
ये ममी है हिमाचल के लाहुल स्पिती के गीयू गांव में। आपको बता दें यह ममी लगभग 550 साल पुरानी है। इस ममी के बाल और नाख़ून आज भी बढ़ रहे हैं। एक खास बात और भी है कि ये ममी बैठी हुई अवस्था में है जबकि दुनिया में पायी गयी बाकी ममीज़ लेटी हुई अवस्था में मिली हैं। गीयू गांव साल में 6 से 8 महीने बर्फ की वजह से बाकी दुनिया से कटा रहता है। क्योंकि यह गांव काफी ऊंचाई पर स्थित है तथा ये तिब्बत से मात्र 2 किलोमीटर दूर है।
आपको बता दें किसी भी इंसान की मौत के बाद उसके शव को केमिकल्स से संरक्षित करके ममी बनाई जाती है, यह विधि प्राचीन मिस्र सभ्यता में बड़े पैमाने पर अपनाई जाती थी। मिस्र के अलावा दूसरे देशो में भी शवों की ममी बनाई जाती थी।
गीयू गांव वालों के अनुसार ये ममी पहले गांव में ही रखी हुई थी और एक स्तूप में स्थापित थी पर 1974 में भूकम्प आया तो ये कहीं पर दब गयी। उसके बाद सन 1995 में आई टी बी पी (I.T.B.P.) के जवानो को सड़क बनाते समय ये ममी मिली। कहा जाता है कि उस समय कुदाल सिर में लगने के बाद ममी के सिर से खून भी निकला जिसका निशान आज भी मौजूद है। इसके बाद सन 2009 तक ये ममी आई टी बी पी के कैम्पस में ही रखी रही।
इसके बाद में गांव वालों ने इस ममी को गांव में लाकर स्थापित कर दिया। ममी को रखने के लिए शीशे का एक कैबिन बनाया गया जिसमें इसे रखा गया। इस ममी की देखभाल गांव में रहने वाले परिवार बारी-बारी से करते हैं। यहां आने वाले पर्यटकों को वे ममी के बारे में जाकारी देते है। सालाना यहां पर देश विदेश के हजारों पर्यटक इस मृत देह को देखने आते हैं।
आपको बताते चलें इस ममी के बाल भी हैं। ममी निकलने के बाद इसकी जांच की गयी थी जिसमें वैज्ञानिकों ने बताया था कि ये 545 वर्ष पुरानी है, पर इतने साल तक बिना किसी लेप के और ज़मीन में दबी रहने के बावजूद ये ममी कैसे इस अवस्था में है ये आश्चर्य का विषय है।
AjabGajab की माने तो इस ममी से जुड़ी एक किवदंती भी है जैसा कि अधिकतर होता है कि हर प्राचीन चीज़ से कोई किवदंती जुड़ जाती है। ऐसी मान्यता है कि करीब 550 वर्ष पूर्व गीयू गांव में एक संत थे। गीयू गांव में इस दौरान बिच्छुओं का बहुत प्रकोप हो गया। इस प्रकोप से गांव को बचाने के लिए इस संत ने ध्यान लगाने के लिए लोगों से उसे ज़मीन में दफन करने के लिए कहा। जब इस संत को ज़मीन में दफन किया गया तो इसके प्राण निकलते ही गांव में इंद्रधनुष निकला और गांव बिच्छुओं से मुक्त हो गया। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि ये ममी बौद्ध भिक्षु ‘सांगला तेनजिंग’ की है जो तिब्बत से भारत आये और यहां पर जो एक बार मेडिटेशन में बैठे तो फिर उठे ही नही ।
अभी तक यही माना जाता था कि ममी के बाल और नाखून निरंतर बढ़ते हैं, लेकिन गीयू गांव के लोगों के मुताबिक अब उचित देख-भाल में ममी के बाल और नाखून बढऩे कम हो गए हैं। बाल कम होने के कारण ममी का सिर गंजा होने लगा है।