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बिहार ही एकमात्र ऐसा राज्य हैं जहां के बोर्ड के नतीजे घोषित होने के दौरान पूरा राज्य चिंता में डूब जाता है। फिसड्डियों को फेल होने का डर होता है तो पढ़ाकुओं को भी इस बात का भय खाए जाता है कि कहीं टॉप न कर जाएं! नतीजों के ऐलान से पहले सरकार और अधिकारी भी झूठी मुस्कान से अपने डर को छिपाते रहते हैं कि इस बार सब ठीक है।
12वीं के बाद बिहार बोर्ड के 10वीं के नतीजों से पहले बिहार बोर्ड के अधिकारियों और स्टूडेंट्स में ऐसा ही खौफ देखने को मिला था। लेकिन पिछली बार छीछालेदर से सीख लेते हुए बिहार बोर्ड ने जबरदस्त तैयारियां की थी। टॉपर्स को परीक्षा में टॉप करने के बाद एक बार फिर से टॉप करना पड़ा।
बिहार में 10वीं के नतीजों में लखीसराय के प्रेम कुमार नंबर वन रहे, जुमई की भव्या और हर्षिता कुमारी सेकण्ड और थर्ड पोजीशन पर रहीं। बोर्ड ने इन तीनों को रिजल्ट घोषित होने के बाद बुलाया। बकायदा उनका इंटरव्यू लिया गया, जिसमें 40 सवाल पूछे गए उसके बाद उनकी हेैंडराइटिंग को कॉपी की लिखावट से मैच भी करवाया गया।
पूरी तसल्ली होने के बाद छात्रों के नामों का ऐलान किया गया, ये नाम बिहार में सबसे ज्यादा नंबर लाने में कामयाब हुए हैं। जितनी सावधानी बोर्ड और शिक्षा मंत्रालय आज अपनी इज्जत को बचाने में दिखा रहा है अगर उतना ध्यान पूरे साल स्कूलों की दशा और दिशाओं पर दे दिया होता तो रूबी और गणेश जेल में नहीं होते बल्कि एक साधारण छात्र की तरह पढ़कर पास होने की कोशिश जरूर कर रहे होते।
मामला तो नहीं भूले है न
आपको याद होंगी बिहार बोर्ड की टॉपर रूबी जिन्हे अपने सब्जेक्ट्स के नाम भी सही से नहीं मालूम थे और इसी बार के टॉपर गणेश, जिन्हें पूरा देश समाचार चैनलों पर सारेगामापाधानीसा का साकीनाका करते देख रहा था। रूबी ने 2016 में इंटरमीडिएट की परीक्षा में टॉप किया था और गणेश 2017 के टॉपर रहे हैं। इन दोनों छात्रों का रिजल्ट निरस्त कर दिया गया है।