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पटना। बिहार में पकड़ुआ विवाह का चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल यानी 2017 के दौरान बिहार में पहले 3400 से ज्यादा युवकों को अगवा किया गया फिर उनकी किसी लड़की से जबरन शादी करा दी गई। स्थानीय भाषा में इस तरह के विवाह को पकड़ुआ विवाह कहते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक खुद बिहार पुलिस ने माना है कि लड़की वाले अच्छे घरों के युवकों का पहले अपहरण करते हैं फिर डरा धमकाकर उनकी किसी लड़की से शादी कर देते हैं। गौरतलब है कि युवकों का अपहरण के बाद जबरन शादी के मामले देश में सर्वाधिक केस बिहार में दर्ज किए जाते है।
बताते चलें कि बिहार सरकार इन दिनों राज्य में दहेज प्रथा और बाल विवाह रोकने के लिए मुहिम चला रही है। इन दोनों कुप्रथाओं पर रोक के लिए कानून को और कड़ा करने का प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद अच्छे युवकों का अपहरण कर उनकी शादी जबरन शादी कराने का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
हालांकि बिहार सरकार 2018 में लग्न शुरू होने के साथ ही सतर्क हो गई है और सभी जिलों के कप्तानों को सख्त निर्देश दिए गए हैं। पिछले दिनों राजधानी पटना के एक गांव में पेशे से इंजीनियर युवक की शादी इसी तरह अपहरण के बाद जबरन करा दी गई। वीडियो सामने आने के बाद जमकर हंगामा हुआ था।
रिपोर्ट में पुलिस रिकॉर्ड के हवाले से बताया गया है कि बिहार में रोजाना नौ युवकों की जबरन शादी करा दी जाती है। बिहार में साल 2014 में 2526, साल 2015 में 3000 और साल 2016 में 3070 युवकों का अपहरण करने के बाद उनकी जबरन शादी कराई गई थी। आंकड़ों से साफ है कि विवाह के लिए होने वाले अपहरण की घटनाओं में लगातार वृद्धि हो रही है। कई पुलिस अधिकारी इसे राज्य की कानून व्यवस्था से संबंधित समस्या मानने के बजाय केवल एक सामाजिक समस्या मानते हैं।
पुराना है यह रिवाज
बाढ़ प्रभावित कोसी इलाके के एक सामाजिक कार्यकर्ता के मुताबिक युवकों का अपहरण करने के बाद उनकी जबरन शादी की घटनाएं बिहार के लिए कोई नई बात नहीं हैं। दहेज की मांग के कारण पकड़ुआ विवाह का चलन बिहार में बहुत पुराना है। लड़की के घर वाले खुद या फिर पेशेवर अपराधियों को पैसे देकर योग्य युवकों का अपहरण करवाते हैं और फिर उससे लड़की की जबरन शादी कर देते हैं।
अपहरण में शीर्ष पर बिहार
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के 2015 के आंकड़ों के मुताबिक 18 साल से अधिक उम्र के युवकों के अपहरण के मामले में बिहार सबसे आगे हैं। देश में 18 से 30 साल के बीच में जितने भी युवाओं का अपहरण होता है उसमें से 17 फीसदी अकेले बिहार से संबंधित होते हैं।