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कहते हैं इंसान जिस परिवेश में रहता है उसी के हिसाब से खुद को ढाल लेता है। जानवरों के बारे में ये बात पचाने में थोड़ी दिक्कत होती है। क्योंकि ऊपर से ही उनकी असेंबलिंग कुछ अलग तरीके से होती है, जनरली खतरनाक जानवरों की जीभ इंसानी खाने को देखकर लपलपाती नहीं है। लेकिन इसी दुनिया में एक ऐसा वेजिटेरियन मगरमच्छ हैं कि मांस क्या, मंदिर के प्रसाद के अलावा कुछ खाता ही नहीं है।
केरल के अनंतपुरा के लेक मंदिर के तालाब में बबिया नाम का मगरमच्छ रहता है। बबिया का नाता नॉन वेज से दूर-दूर तक नहीं है। ये मगरमच्छ सिर्फ और सिर्फ चावल और गुड़ खाता है जो कि मंदिर का प्रसाद होता है। ऐसा नहीं है कि मांस से बबिया का वास्ता नहीं पड़ता। बबिया जिस तालाब में रहता है उसमें कई सारी मछलियां रहती हैं। लेकिन सात्विक मगरमच्छ के साथ वो काफी कंफर्ट महसूस करती हैं और बिना टेंशन के मगर बाबू के आजू-बाजू चक्कर लगाती रहती हैं।
प्रकृति के नियमों के उलट एक मगरमच्छ कैसे इतना सात्विक हो सकता है, ये देखने के लिए दुनिया भर से लोग बबिया के दर्शन के लिए आते हैं। बबिया का रुटीन बिल्कुल फिक्स है। दिन की पूजा के बाद बबिया के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है और खिलाया जाता है। बबिया के मुंह में सीधा प्रसाद डाल दिया जाता है।
इस तालाब में बबिया इकलौता ऐसा मगरमच्छ नहीं है। यहां पिछले 100 सालों से ऐसा होता आ रहा है। मंदिर प्रांगण के इस तालाब में जो भी मगरमच्छ आता है वो ऐसे ही मांस मछली से परहेज करके रहता है।
एक चौंकाने वाली बात और है। तालाब में मगरमच्छ आते कहां से हैं इसकी जानकारी किसी को है ही नहीं। न तो मंदिर के आस-पास कोई नदी है और न ही कोई झील। बस एक जाता है तो दूसरा आ जाता है। वैसे तो दुनिया में कई चमत्कार होते है लेकिन ये वाला तो बिल्कुल सात्विक है।
सोर्स- हिस्ट्री चैनल