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Ajab Gajab: इस गांव में जानवरों को भी मिलती है संडे की छुट्टी, 100 साल पहले से चलती आ रही है परंपरा

New Delhi Published by: ज्योति मेहरा Updated Fri, 19 May 2023 12:01 PM IST
सार

हम आपको एक ऐसी यूनिक परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका पालन झारखंड के लातेहार गांव में किया जाता है। दरअसल यहां पर इंसानों की तरह पशुओं को भी एक दिन की छुट्टी मिलती है।

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cow - फोटो : istock
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विस्तार

Old Tradition Of Jharkhand: दुनियाभर में भारत अपनी सांस्कृतिक विविधता के लिए जाना जाता है। भारत में कई ऐसे गांव हैं जहां आज भी सैकड़ों साल पुरानी परंपरा का पालन किया जाता है। इतना ही नहीं आने वाली पीढ़ियां भी इन परंपराओं का निर्वाह लगातार कर रही हैं। आज हम आपको इन्हीं में से एक यूनिक परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका पालन झारखंड के लातेहार गांव में किया जाता है। दरअसल यहां पर इंसानों की तरह पशुओं को भी एक दिन की छुट्टी मिलती है। गांव वालों के मुताबिक यह परंपरा उनके पूर्वजों ने शुरू की थी, जिसका पालन लोग आज भी कर रहे हैं। लातेहार गांव के लोगों का कहना है कि जिस तरह पशु मनुष्यों के सुख- सुविधाओं का ख्याल रखते हैं, उसी तरह लोग पशुओं की भी सुख- सुविधाओं का ध्यान रखते हैं।

रविवार की होती है छुट्टी
रविवार के दिन ज्यादातर लोगों की छुट्टी होती है। सप्ताह में एक दिन स्कूल से लेकर दफ्तर और बैंक आदि बंद रहते हैं और लोग इस दिन अपने काम से ब्रेक लेकर आराम करते हैं। लेकिन ये केवल इंसानों के लिए होता है किसी पालतू जानवर को शायद ही अपने काम से कभी छुट्टी मिलती है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए झारखंड के लातेहार गांव में रविवार के दिन सभी पशुओं को भी अवकाश दिया जाता है। इस दिन जानवरों से किसी भी तरह का काम नहीं कराया जाता है। ग्रामीणों का मानना है कि इंसानों की तरह पशुओं को भी एक दिन के आराम की जरूरत होती है।

कब से चली आ रही है ये परंपरा?
गांव वालों की मानें तो लगभग दस दशक पहले एक बार खेत में काम करते हुए एक बैल की हालत कुछ इस तरह बिगड़ी कि उसकी मौत हो गई। इसके बाद से गांव वालों ने मिलकर यह निर्णय लिया कि मवेशियों को भी एक दिन का आराम दिया जाएगा। 

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