केरल राज्य अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए काफी मशहूर है। पद्मनाभस्वामी मंदिर भारत के केरल राज्य के तिरुअनन्तपुरम में स्थित भगवान विष्णु का प्रसिद्ध हिन्दू मंदिर है। भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण आराधना-स्थली है। लेकिन ये मंदिर सबसे धनी होने के साथ-साथ रहस्यमयी भी है।जो काफी रोचक है।
पद्मनाभ स्वामी मंदिर का निर्माण राजा मार्तण्ड द्वारा करवाया गया था। साथ ही, 1750 में त्रावणकोर के योद्धा मार्तंड वर्मा ने आसपास के इलाकों को जीत कर इसकी संपदा बढ़ाई। माना जाता है कि, मार्तंड वर्मा ने पुर्तगाली समुद्री बेडे और उसके खजाने पर भी कब्जा कर लिया था। यूरोपीय, मसालों खासकर काली मिर्च के लिए भारत आते थे। त्रावणकोर ने इस व्यवसाय पर पूरी तरह से कब्जा कर लिया था।
मसालों के व्यापार से राज्य को काफी फायदा होता था और इस संपत्ति को इस मंदिर में रख दिया जाता था। सही मायनों में तो पूरे राज्य की संपत्ति को ही मंदिर में रखा गया था।1991 में त्रावणकोर के अंतिम महाराजा बलराम वर्मा की मौत हो गई। 2007 में एक पूर्व आईपीएस ने एक याचिका कोर्ट में दाखिल कर राज परिवार के अधिकार को चुनौती दी।
2011 में सुप्रीम कोर्ट ने तहखाने खोलकर खजाने का ब्यौरा तैयार करने को कहा। 27 जून 2011 को तहखाने खोलने का काम शुरू किया गया। तहखाने खुले तो लोगों की आंखे खुली रह गईं। पांच तहखानों में करीब एक लाख करोड़ की संपत्ति निकली जबकि एक तहखाना अभी भी नहीं खोला गया है। सोचिये, अभी और कितनी संपत्ति बंद होगी।
दरअसल, सातवें दरवाजे में ना कोई वोल्ट है, और ना ही कोई कुंडी।दरवाजे पर दो सांपों के प्रतिबिंब लगे हुए हैं, जो इस द्वार की रक्षा करते हैं। इस दरवाजे को खोलने के लिए किसी चाभी की जरूरत नहीं पड़ती है, इसे मंत्रोच्चारण की मदद से ही खोल सकते हैं। यह एक गुप्त गृह है, जिसकी रक्षा 'नाग बंधम्' करते हैं। इस दरवाजे को कोई 16वीं सदी का 'सिद्ध पुरूष', योगी या फिर कोई तपस्वी ही 'गरुड़ मंत्र' की मदद से खोल सकता है।नियमानुसार, 'गरुड़ मंत्र' का स्पष्ट तरीके से उच्चारण करने वाला सिद्ध पुरूष ही इस दरवाजे को खोल पाएगा।अगर उच्चारण सही से नहीं किया गया, तो उसकी मृत्यु हो जाती है।