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'मेरे पिता को पाकिस्तान ने नहीं मारा, उन्हें युद्ध ने मारा' वाली बात से सुर्खियों में आईं गुरमेहर कौर आजकल कहां हैं? करीब हफ्ते भर तक टीवी चैनलों पर बहसों का हिस्सा बनीं गुरमेहर आजकल क्या कर रही हैं? छात्र संगठन एबीवीपी (अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद) के खिलाफ प्रदर्शनों में शामिल हुई रहीं गुरमेहर के बारे में देश भर यह जानने की कोशिश करता रहा कि देश के शहीद की बेटी अचानक कहां चली गई? खैर मुद्दे पर आते हैं... गुरमेहर कौर आजकल एक खास मिशन पर जुटी हैं। उन्हें लगता है कि जो काम वह कर रही हैं, उससे उनकी असलियत से लोग रूबरू होंगे।
गुरमेहर कौर अपनी जिंदगी पर आधारित एक किताब लिख रही हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक 'मोमेंट्स ऑफ फ्रीडम' शीर्षक के नाम गुरमेहर किताब लिखने में व्यस्त हैं, जिसके अगले साल जनवरी में आने की उम्मीद है।
गुरमेहर के मुताबिक लोग अक्सर आपके मुंह में अपनी बातें ठूंसने का प्रयास करते हैं, वही सुनना चाहते हैं जो उन्हें रास आता है, इसीलिए वह अब खामोश रहकर अपनी तमाम बातें किताब के माध्यम से लोगों के बीत रखेंगी। गुरमेहर ने यह भी बताया कि पिछले दिनों डीयू (दिल्ली विश्वविद्यालय) हंगामे के दौरान उनके जज्बातों को तोड़ मरोड़कर पेश किया गया, इसलिए वह अब अपनी कहानी ठीक समय पर बयां करने जा रही हैं।
गुरमेहर के मुताबिक उनकी किताब में पारिवारिक संवेदनशीलता के काफी करीब होगी, किताब में ऐसी बातें होंगी जो उन्होंने अपनी मां और दादी से सीखीं। वह कहती हैं कि मां और दादी ने बच्चों की अकेले ही परवरिश की, इसलिए किताब में तीन महिलाओं के संघर्ष, साहस और अनुभवों की बातें होंगीं। गुरमेहर की मानें तो किताब में युद्ध के मुद्दे को भी उकेरा जाएगा।
गुरमेहर किताब लिखने के पीछे एक और दिलचस्प वजह बताती हैं। वह कहती हैं कि 12 वर्ष की उम्र में उन्होंने निकोलस स्पार्क की किताब पढ़कर अल्जाइमर की बीमारी के बारे में जाना और तब से वह इस बात को लेकर डरती रहीं कि अगर बीमारी उन्हें हो गई तो पिता की सारी यादें छू मंतर हो जाएंगी, इसलिए उन यादों को किताब में पिरोना ठीक लगा।
गुरमेहर की किताब में 70 वर्षों का एक सैनिक के परिवार का अनुभव होगा, जिसमें उनकी दादी के लाहौर से आने से लेकर उनके एक्टिविज्म तक की घटनाओं की बातें होंगी। तो फिर इंतजार कीजिए गुरमेहर की किताब का...!