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आपकी टीवी से लेकर मोबाइल की स्क्रीन तक जो धड़ाधड़ नतीजे दिखाई दे रहे हैं। दरअसल यह सब एक चुनावी इतिहास का एक हिस्सा है। यहां नेताओं की तकदीर लिखी जा रही है। इस लिखावट में कुछ लोगों की तकदीर मिटाई भी जा रही है।
56 इंच वाले बाबू जी को उम्मीद नहीं थी कि जो चुनावी जहाज कल तक हवाओं से बातें कर रहा था वो इतनी जल्दी लड़खड़ाने लग जाएगा। जिसका उपहास कल तक 'पप्पू' कहकर उड़ाते थे। वह आज नतीजों के बाद बाहुबली की तरह लगने लगेगा। पांच राज्य मुट्ठी से रेत की तरह फिसल गए। फिलहाल मन को बहलाने के लिए केसरिया वाले नेतागढ़ बिग बी के बाबू जी की कविता की लाइनें गुनगुना रहे हैं कि मन का हो तो अच्छा और न हो तो औ अच्छा।
इधर पांच राज्यों के चुनावी नतीजों से सबसे ज्यादा राहत EVM को मिली है। EVM इस बात से ही खुश है कि जीत चाहे किसी को मिले। कम से कम हम पर लोगों का विश्वास तो बढ़ा। क्योंकि कल तक हमारे चरित्र का सर्टिफिकेट लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से बनाया करते थे। जो कल तक जीत रहे थे वो हम पर उंगली उठाने की स्थिति में हैं नहीं। और जो कल तक हार रहे थे, वो आज उंगली उठाएंगे तो फंस जाएंगे। तो भइया... चाहे कोई जीते, चाहे कोई हारे। कम से कम यह तो कह सकते हैं कि EVM ने अग्निपरीक्षा तो पास कर ही ली।
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