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एससी एसटी एक्ट का एक आंदोलन दलित संगठनों द्वारा सड़कों पर चलाया गया और दूसरा आंदोलन सोशल मीडिया पर। सड़कों पर लगी आग के नुकसान का आंकलन तो किया जा सकता है लेकिन सोशल मीडिया पर जो आग लगाई जा रही है उसकी भरपाई मुश्किल है, क्योंकि इनका फायदा हर विरोध प्रदर्शन के दौरान अपनी सहलूयित के हिसाब से लिया जाएगा। पर्दे के पीछे तमाम लोग सांप्रादायिक हिंसा की आग को हवा देने के लिए फेक न्यूज फैला रहे हैं। फेक खबरों को इस तरह से वायरल किया जा रहा है कि बड़े-बड़े डिग्रीधारी इनके झांसे में फंस रहे हैं तो आप भी जान लें कि यह दावे झूठे हैं।
आंदोलन के दौरान लोगों को भड़काया गया कि आरक्षण खत्म करने के आदेश दिए गए हैं। कई मीडिया हाउस की रिपोर्ट में सामने या कि आंदोलनरत उत्पातियों को पता ही नहीं था कि सुप्रीम कोर्ट ने एससी-एसटी एक्ट के तहत बदलाव करते हुए तत्काल गिरफ्तारी के बजाय जांच के आदेश दिए थे। आरक्षण खत्म करने के अभियान को सोशल मीडिया पर इस तरह फैलाया गया था कि कई लोग इसकी चपेट में आ गए।
लोगों को फंसाने के लिए सिर्फ आंदोलन के पक्ष में ही फेक न्यूज का जाल फैलाया नहीं गया था। बल्कि आंदोलन के खिलाफ भी वैसा ही कुछ होता किया गया था। अगर आप भी सोशल मीडिया पर समय व्यतीत करने वाले इंसान हैं तो आपकी नजर भी पड़ी होगी, जहां एक बच्ची के सिर पर चोटें आई हैं। एक अखबार में छपी रिपोर्ट के मुताबिक यह तस्वीर बिहार के मुजफ्फरपुर की है लेकिन सोशल मीडिया पर इस तस्वीर को कभी हापुड़ तो कभी बांसवाड़ा की बताकर वायरल किया जा रहा था।
भारत बंद के दौरान हनुमान जी की फोटो के अपमान का एक वीडियो खूब शेयर किया गया। दरअसल यह वीडियो दक्षिण भारत में 27 मई 2017 को हुए प्रदर्शन का है। इस वीडियो का भारत बंद से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में इस वीडियो को खूब शेयर किया गया।