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बॉलीवुड के मुकाबले साउथ के स्टार्स राजनीति में भी बाहुबली!

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Sat, 27 May 2017 02:01 PM IST
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rajinikanth - फोटो : india today
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माइंड इट! शिवाजी द बॉस कहें या फिर थालाइवा, ये वो रजनीकांत हैं जिनके आगे बॉलीवुड के बादशाह भी खुद को कम आंकते हैं। एक बस कंडक्टर से फिल्म स्टार और फिर भगवान की उपाधि हासिल करने में रजनीकांत को अधिक समय नहीं लगा। आजकल जबसे वो अपने फैंस से मुखातिब हुए हैं, तब से हर राजनीतिक पार्टी चौकन्नी हो गई है। उनके भाई सत्यनारायण राव ने एक ऐलान किया है जिसके बाद से सभी हलकान हुए जा रहे हैं। लोगों की नींद उड़ी हुई है और फैंस किसी बड़े फैसले का इंतजार कर रहे हैं।


फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति को जोड़ती हुई सबसे ताजा खबर यह है कि साउथ के भगवान कहे जाने वाले सुपर स्टार थालाइवा यानी रजनीकांत जल्द ही राजनीति में आने वाले हैं। उनकी फैन फॉलोइंग से हर कोई वाकिफ है। यही वजह है कि सभी की नजर उनके इस फैसले पर टिकी हुई है। हाल ही में उन्होंने कई सालों बाद अपने फैंस से मुलाकात की और उन्होंने राजनीति में आने के सवाल पर कहा कि दक्षिण भारत की राजनीति में बहुत से अच्छे नेता हैं लेकिन यह सिस्टम पूरी तरह सड़ चुका है। उनके इस स्टेटमेंट से अटकलें काफी तेज हो गई हैं कि शायद जल्द ही रजनी अन्ना राजनीति के शिवाजी द बॉस बनने की तैयारी में हैं।
 

अगर हम बॉलीवुड और दक्षिण भारत के उन अदाकारों को देखें जो राजनीति में आए तो साफ देखा जा सकता है कि बॉलीवुड के कलाकार राजनीति में आकर बिल्कुल रम गए या यूं कहिए कि अपनी अलग कोई खास पहचान नहीं बना पाए, लेकिन दक्षिण भारत में इसके बिल्कुल उलट हुआ। दक्षिण भारत के कलाकारों का सितारा राजनीति में भी हमेशा बुलंद रहा।

दक्षिण भारत के मशहूर एक्टर मरुथुर गोपालन या फिर आप इन्हें एमजीआर के नाम से जानते होंगे। एमजीआर एक बेहद मशहूर एक्टर थे और उतने ही सफल नेता। वो पहले डीएमके का हिस्सा बने और उसके बाद उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली, एआईडीएमके। वो तमिलनाडु के मुख्यमंत्री भी रहे और उन्हें आज तक दक्षिण भारत के सबसे सफल नेता के रूप में देखा जाता है। 

वहीं अगर बॉलीवुड में सदी के महानायक कहे जाने वाले अमिताभ बच्चन की तुलना इनसे की जाए तो वह राजनीति में अधिक समय तक नहीं टिक सके। उन्होंने एक समय बाद आकर सपा से दूर हटने का फैसला लिया और वापस फिल्मों में अपनी पकड़ बना ली। 
 

वहीं दूसरी तरफ जया बच्चन अभी भी एक राज्य सभा सदस्य हैं और सदन में अपनी बात बहुत जोर-शोर से रखती हैं। वो किसी तेज तर्रार नेता की तरह भाषण देती हैं। वो एक बेहद मशहूर एक्ट्रेस थीं लेकिन राजनीति में वो अपना स्टारडम नहीं स्थापित कर सकी हैं। वहीं दक्षिण भारतीय बॉलीवुड अदाकारा ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी भी जीतीं जरूर लेकिन उनका राजनीतिक करियर उतनी तेजी से आगे नहीं बढ़ रहा जितनी तेजी से उन्होंने बॉलीवुड में मुकाम हासिल किया था। जया प्रदा तो अब खबरों में नजर भी नहीं आतीं। 

लेकिन जयललिता उर्फ अम्मा का दबदबा आज भी उनके प्रशंसकों पर पूरी तरह से कायम है। उत्तर भारत के लोगों को भले ही उनके बारे में उनके जीवित रहते अधिक न पता हो, लेकिन उनकी मृत्यु के बाद यह साफ हो गया कि उनका दक्षिण भारत में क्या ओहदा था। वो एक बेहद जानी मानी अदाकारा थीं। उनको एमजीआर ही राजनीति में लाए थे, और इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनपर आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे वो जेल भी गईं लेकिन अम्मा कैंटीन जैसे अपनी तमाम योजनाओं से उन्होंने अपने आखिरी समय तक लोगों को खुद से जोड़े रखा।
 

अगर राजनीति में आने से पहले किसी कलाकार की आइडियोलॉजी की बात की जाए तो आमतौर पर किसी पार्टी का हिस्सा बनने के बाद ही वो उभर कर आती है या यूं कहें कि तय की जाती है। बॉलीवुड में तो कुछ ऐसा ही दिखाई देता है। वहीं दूसरी तरफ एम करुणानिधि अपने फिल्मी करियर की शुरुआत से ही अपने विचारों को लेकर बेहद स्पष्ट थे। वो फिल्मों की पटकथा लिखा करते थे और उसके माध्यम से लोगों के बीच एक खास संदेश पहुंचाना चाहते थे। उन्होंने दक्षिण में ब्राह्मणवाद पर कई फिल्में लिखीं और साथ ही कई अन्य कुरीतियों को भी काफी बढ़ा-चढ़ा कर दिखाया। 

बॉलीवुड के किसी भी एक्टर टर्न्ड नेता में यह गुण देखने को नहीं मिलता है। जहां करूणानिधि अपनी एक सोच लेकर राजनीति में आये वहीं बॉलीवुड ने पहले एक पार्टी जॉइन की और उसके बाद अपने विचार जाहिर किए। यहां शबाना आजमी जरूर हमेशा से लेफ्ट की पॉलिटिक्स से जुड़ी रहीं। वो बताती हैं कि कैसे अपने कॉलेज के दिनों में वो धरने पर बैठा करती थीं और उसमें उनके पिता कैफी आजमी उनको कॉमरेड कहकर उनका उत्साह बढ़ाया करते थे। 
 

बॉलीवुड कलाकारों की नई खेप ने अब तरीका बदल लिया है। वो राजनीति में आने से पहले ही जनता के बीच अपने विचार साफ कर देते हैं। किसी मुद्दे पर उनके बोलने का ढंग साफ बता देता है कि वो किस पार्टी की तरह साउंड कर रहे हैं।

बॉलीवुड और दक्षिण भारत के कलाकारों की पॉपुलैरिटी में जो अंतर है वो राजनीति में भी साफ दिखाई देता है। यही वजह है कि रजनीकांत के राजनीति में आने की खबरों से राजनीतिक गलियारों में हलचल बढ़ गई है। अब देखना होगा कि रजनीकांत यदि राजनीति में आते हैं तो वो जनता पर अपना वर्चस्व कैसे कायम करेंगे और कैसे वो पुराने दिग्गज दक्षिण भारतीय एक्टर नेताओं से अलग अपनी एक खास छवि कायम करेंगे।
 

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