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वाट्सएप का ईजाद करने वालों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि सोशल मीडिया के नाम से मशहूर उनकी यह तकनीक एक दिन समाज को इतना एंटी सोशल बना देगी कि इसका उपयोग अफवाह फैलाने, समाज को अराजक बनाने में होने लगेगा। गत रविवार को महाराष्ट्र के धुले जिले में पांच लोगों को भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार दिए जाने की घटना से तो ऐसा ही लगता है कि वाट्सएप का सदुपयोग कम दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है।
पता चला है कि महाराष्ट्र की इस घटना के मूल में भी वाट्सएप पर फैलाई गई बच्चा चोरी करने वाले गिरोह के सक्रिय होने की अफवाह है। यह अफवाह देश के आधा दर्जन से अधिक प्रदेशों में विगत चार माह में करीब 27 लोगों की जान ले चुकी है। हालांकि, इन घटनाओं के बाद केंद्र सरकार हरकत में आई है और इस तरह की अफवाहों को रोकने के लिए नई सोशल मीडिया नीति को अंतिम रूप देने पर विचार कर रही है।
इन सभी घटनाओं में वारदात का एक जैसा तरीका पाया गया। तरीका यह था कि वाट्सएप पर नियोजित तरीके से यह अफवाह फैलाई गई कि क्षेत्र में बच्चे चुराने वाला एक गिरोह सक्रिय है, जो बच्चों के अंग निकालकर बेचता है। स्वाभाविक है कि इस तरह की अफवाह के बाद गांव और आदिवासी अंचलों में इस तरह की सूचना के बाद भय का वातावरण बनने लगा। गांव के लोग समूह बनाकर निगरानी करने लगे। इसी का फायदा उठाकर इन सभी वारदातों को अंजाम दिया गया। गत वर्ष गोरक्षा के नाम पर भीड़ द्वारा इस तरह की हत्या का सिलसिला चला था, अब बच्चे चुराने वाले गिरोह की अफवाह की आड़ में यह कृत्य किया जा रहा है।
हिंसा करने वाले भीड़ का हिस्सा बनकर न सिर्फ कानून हाथ में लेने का दुस्साहस कर रहे हैं, बल्कि घटना को अंजाम देने के बाद उसका वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित कर जनता में खौफ भी फैला रहे हैं। इससे लगता है कि इस तरह की वारदात में लिप्त लोगों को पूरा भरोसा है कि पुलिस उन पर कोई कार्रवाई नहीं करेगी, तभी तो वे बेखौफ एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम दिए जा रहे हैं।