बॉलीवुड में भूतों को पर्दे पर लाने वाले डायरेक्टर ऐसे बिता रहे हैं दिन,फिल्में देखने पर देते थे इनाम
टीम फिरकी, नई दिल्ली
Updated Sat, 03 Nov 2018 02:39 PM IST
हॉरर फिल्मों का एक अपना अलग ही दर्शक वर्ग होता है। आजकल लोग नेटफ्लिक्स और हॉटस्टार पर हॉलीवुड की हॉरर फिल्में देख लेते हैं लेकिन बॉलीवुड में पिछले कई दशकों से हॉरर को लेकर नया क्रेज लाने वाले रामसे ब्रदर्स को कौन नहीं जानता होगा। हॉरर जॉनर को लाने का श्रेय उन्हें ही जाता है, जिसमें अजीबो-गरीब रहस्य, अलौकिक शक्तियों का राज नजर आता हैं। बॉलीवुड फिल्मों में भूतों का सफर काफी मजेदार रहा है। एक समय था जब भूतों को केवल हवा के तौर पर फ्रेम में बनाए जाते थे, धीरे-धीरे सफेद कपड़ों वाली महिलाओं ने हाथ में मोमबत्ती लेकर घूमने वाले भूत की इमेज तैयार की।
रामसे ब्रदर्स ने पर्दे पर भूतों को लेकर जो धमाल मचाना शुरू किया वो आज भी लोगों की रूह को कंपा देता है। भूत वाली फिल्मों की सीरीज में इनका नाम काफी इज्जत के साथ याद किया जाता है क्योंकि इन्होंने डरावने बड़े-बड़े भूत दिए, जो कि इससे पहले नहीं दिखे थे। अब इसके बाद भूतों की जिंदगी में कई बदलाव आए। रामसे ब्रदर्स ने दो गज जमीन के नीचे, वीराना, पुरानी हवेली, पुराना मंदिर, दरवाजा, बंद दरवाजा और अंधेरा जैसी हॉरर फिल्में बनाई हैं।
1972 में रामसे भाइयों ने दो गज जमीन के नीचे फिल्म बनाई जो हिट रही थी, रामसे ब्रदर्स ने भारत की पहली एनिमल हॉरर फिल्म 'दरवाजा' बनाई जिसमें 72,000 रूपये खर्च किए गए और 1978 में फिल्म को रिलीज किया गया। तुलसी रामसे ने रेडियो पर प्रचार किया कि इस फिल्म को अकेले सिनेमाघर में देखने वाले को 1000 रुपए का इनाम दिया जाएगा।
इसके बाद 1984 में उनकी अगली फिल्म पुराना मंदिर रिलीज हुई जो 2.5 करोड़ कमाकर उस साल की दूसरी बड़ी हिट फिल्म रही, जिसमें उन्होंने अनिरुद्ध अग्रवाल नाम के 6 फीट 7 इंच लम्बे शख्स को सामरी का रोल दिया था। 1980 के दशक में रामसे ब्रदर्स का एकछत्र राज रहा। उन्होंने पुराना मंदिर, सामरी, वीराना, तहखाना, डाक बंगला, पुरानी हवेली, शैतानी इलाका और बंद दरवाजा जैसी सुपरहिट फिल्में बनाईं। 1988 में आई रामसे ब्रदर्स की फिल्म ‘वीराना' काफी हिट हुई थी, इस फिल्म में भूत का किरदार निभाने वाली जैस्मिन की खूबसूरती देख उसके दीवाने हो जाते थे और वो उन्हें मार डालती थी।
1990 के दशक में रामसे ब्रदर्स ने छोटे परदे की तरफ रुख किया। भारतीय टीवी जगत का पहला हॉरर सीरियल जीरो हॉरर शो बनाया जिसके जी टीवी पर 700 एपिसोड प्रसारित किये गए और इसमें केसू रामसे को छोड़कर सभी शामिल थे। तुलसी रामसे के पुत्र दीपक ने भी 200 एपिसोड निर्देशित किये, इसको बाद में अनहोनी नाम से प्रसारित किया गया, यह शो 8 सालों तक चला।
रामसे ब्रदर्स में से एक हैं श्याम रामसे, जिनकी बेटी साशा रामसे अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रही हैं। साशा रामसे यूट्यूब चैनल 101 पर उनकी ‘फिर से रामसे’ की सीरीज चला रही हैं, जिसमें लगभग 7-8 मिनट के हॉरर वीडियो डाले जाते हैं। इनके भी नाम बड़े दिलचस्प हैं- बेसब्र कब्र, शीशा बार, खून की प्यास, वो फिर आएगी, मरना मना है। साशा का कॉन्सेप्ट वही है, इन वीडियोज में आपको चुड़ैल, ड्रैकुला और पिशाच मिलेंगे।
रामसे ब्रदर्स का ग्राउंड फ्लोर ऑफिस पिछले 18 सालों से बंद पड़ा है, लेकिन फिर भी हम मान सकते हैं हिंदी हॉरर फिल्मों का एकमात्र बादशाह घराना रामसे ब्रदर्स ही है। रामसे ब्रदर्स का प्लॉट लगभग एक जैसा ही रहता था। रामसे ब्रदर्स के पापा फतेहचंद रामसे 1947 में बंटवारे के समय कराची से भारत आए थे, यहां आकर उन्होंने रेडियो इंजीनियर का काम शुरू किया। अंग्रेजों के कहने पर उन्होंने अपना सरनेम रामसिंह से रामसे कर लिया, जब उनकी इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी चलनी बंद हो गई तो उन्होंने फिल्में बनाने का काम शुरू किया।
उनकी पहली फिल्म 1954 में आई थी, जहां इन्होंने शहीद-ए-आजम और भगत सिंह जैसी फिल्में बनाई, वहीं इनके बेटों ने हॉलीवुड की कॉपी करते हुए इंडियन मसाला ऐड करके भूतिया फिल्में बनानी शुरू कीं। रामसे प्रोडक्शन में सातों भाइयो ने अपना काम बखूबी निभाया। अधिकतर फिल्मों में निर्देशन का काम तुलसी रामसे और श्याम रामसे, स्टोरी और स्क्रीनप्ले का काम कुमार रामसे, प्रोडक्शन डिजाइन का काम अर्जुन रामसे, सिनेमेटोग्राफी का काम गंगू रामसे और केसू रामसे और साउंड का किरन रामसे ने संभाला।