Home Feminism Viral Inspiring Story Of Prachi Who Lost 80 Of Her Eyesight And Still Made Up To Iim Ahamdabad

प्राची अपनी 80% दृष्टि खो चुकी हैं लेकिन उन्होंने एक शानदार काम किया है!

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Wed, 12 Apr 2017 03:03 PM IST
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prachi - फोटो : The Indian Express
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कई बार हम सिर्फ इसलिए हिम्मत हार जाते हैं क्योंकि हमें लगता है कि हम इस लायक ही नहीं हैं कि अपने लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे। हमें अपनी छोटी-छोटी कमियां बहुत बड़ी लगने लगती हैं। लेकिन इस दुनिया में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो परेशानियों से लड़कर आगे बढ़ जाते हैं। जिनमें किसी भी प्रकार की शारीरिक विषमता होती है वो भी आगे बढ़ते हैं और दुनिया में अपना झंडा लहराते हैं।


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इसका एक उदाहरण हैं प्राची सुखवानी। प्राची 21 साल की हैं और महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय से बीबीए कर रही हैं। इन्होंने कैट की परीक्षा पास कर ली है। अब आप कहेंगे कि इसमें इतनी बड़ी बात क्या है। असल में प्राची की 80% आईसाइट जा चुकी है। इन्हें मैक्यूलर डाइसट्रॉफी की समस्या है। प्राची जब कक्षा तीन में थीं तभी से उनको ये समस्या शुरू हो गई थी लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी और लगातार मेहनत करती रहीं। 
 

ये एक जेनेटिक समस्या है और फिलहाल इसका कोई इलाज नहीं है। लेकिन उनकी ये समस्या कभी उनके सपनों के आड़े नहीं आ सकी। प्राची ने कैट की परीक्षा में 98.55% हासिल किए थे। वो कहती हैं कि फिलहाल तो मैं नौकरी करना चाहती हूं। जब मुझे थोड़ा एक्सपीरियंस हो जाएगा तो मैं अपना एक स्टार्ट अप खोलूंगी। इसके साथ ही मैं दृष्टि बाधितों के लिए एक एनजीओ भी खोलना चाहती हूं। प्राची के पिता बताते हैं कि जब वो 15 साल की थी तभी से हम उसे चेन्नई ले जाते थे जहां उसका इलाज चलता था।

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डॉक्टर ने उसे खासतौर पर बनाए गए चश्मे दिए थे। जिससे कि उसे पढ़ने में आसानी हो सके। लेकिन ये भी उसे पढ़ाई में एक परेशानी के रूप में दिखाई देते थे और वो उनके बिना ही पढ़ना शुरू कर देती थी। प्राची को भारत के टॉप 3 आईआईएम से इंटरव्यू के लिए फ़ोन आया था जिसे उन्होंने क्वालीफाई कर लिया।
 


प्राची के पिता का बिजनेस है और उनकी मां एक हाउस मेकर हैं। उनकी बहन भी मुंबई के एक प्राइवेट कॉलेज से एमबीए कर रही हैं। जब से प्राची के सेलेक्शन की खबर आई, उनकी यूनिवर्सिटी का पेज बधाइयों से भर गया। फैकल्टी ऑफ कॉमर्स के डीन प्रोफेसर शरद बंसल कहते हैं कि मैं इस कोर्स से तभी से जुड़ा हुआ हूं जब से ये शुरू हुआ लेकिन आज से पहले मुझे किसी भी छात्र पर इतना गर्व नहीं हुआ। प्राची ने ये साबित कर दिया है कि इस तरह की दिक्कतें किसी को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकतीं। प्राची बधाई की पात्र है।


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प्राची जैसे लोगों की कहानी सुनकर लगता है कि इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं है। अगर कोई व्यक्ति चाहे तो वो कड़ी मेहनत करके सारी परेशानियों को पीछे छोड़ आगे बढ़ सकता है।
 

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