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बॉलीवुड फिल्मों में देखते आए हैं, दूसरों के लिए अपनी जान जोखिम में डालने वाला हीरो कहलाता है। वो हजारों-लाखों में एक ही होता है। दूसरों के लिए अपनी जान जोखिम में डालने की बात कहने में जितनी आसान लगती है असलियत में उससे भी ज्यादा कठिन होती है। ऐसे करने की हिम्मत रखने वाले उतने ही होते हैं जितने समुद्र की गहराई में मोती।
ऐसे ही एक शख्स हैं रचित अरोड़ा। पेशेवर हाइकर यानी कि पर्वतारोही हैं। पहले शौक के लिए पहाड़ों पर चढ़ाई किया करते थे। अब नेक इरादे से हाइकिंग करते हैं। अपनी जान को जोखिम में डालकर वह महिला सशक्तिकरण के लिए काम कर रहे हैं। अपने पैसों से महिलाओं की मदद कर रहे हैं और वो भी बिना शोर शराबे के। रचित ऑयल एंड गैस कंपनी में एचआर पद पर हैं। पैशन की भूख उन्हें नाइन टू फाइव वाली नौकरी करने के बावजूद पहाड़ों पर चढ़ने की एनर्जी देती है। अब वो इसी एनर्जी के सहारे वंचित महिलाओं के लिए पैसे जुटा रहे हैं।
रचित नौकरी के साथ-साथ अपनी ट्रैकिंग कंपनी भी खोल चुके हैं। वो बताते हैं कि जब एक एनजीओ के संपर्क में आए हैं जो महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए काम करती है, तो उन्हें भी महिलाओं की मदद करने की इच्छा हुई। फिर उन्होंने अपने तरीके से मदद करने का रास्ता ढूंढ निकाला।
रचित ने इसी साल (2017) में रूस के सबसे ऊंचे पर्वत पर चढ़ाई की। Mount Elbrus पर चढ़ाई के दौरान रचित ने जो पैसा जुटाया, उस पैसे से 22 महिलाओं के लिए एक व्यवसाय शुरू किया। उनकी प्लानिंग है कि वो अगले कुछ सालों में Seven Summits (सात देशों के सबसे ऊंचे पर्वत) की चढ़ाई पूरी करें। और उन पैसों से 100 महिलाओं की मदद करें । रचित कहते हैं कि इस तरह के काम करने की सबसे अच्छी बात ये है कि मैं अपना पैशन भी जी रहा हूं और दूसरों की मदद भी कर पा रहा हूं।
हम सब किसी न किसी तरह से जरूरतमंदों की मदद करना चाहते हैं। दुनिया में शायद ही कुछ लोग होंगे जिन्हें किसी की मदद से एतराज हो। बस फर्क ये है कि लोग अपने-अपने तरीके से ही मदद कर सकते हैं। कोई पैसों के जरिए मदद कर सकता है तो कोई शारीरिक तौर पर, क्योंकि मदद करने से पहले हमें अपना ख्याल रखना भी होता है।