विस्तार
तकदीर के खेल से नाराज नहीं होते… जिंदगी में कभी उदास नहीं होते.... हाथों किं लकीरों पे यकीन मत करना… तकदीर तो उनकी भी होती हैं, जिनके हाथ नहीं होते… व्हॉट्सएप या फेसबुक पर आपकी निगाहों के सामने से भी ये मोटिवेशनल शायरी जरूर गुजरी होगी। अगर आपके जेहन में इन लाइनों को पढ़ने के बाद कोई मुकम्मल चेहरा नहीं बनता है तो इंदौर के विवेक अग्निहोत्री के बारे में जरूर जानना चाहिए।
विवेक जब 7 साल के थे तब एक हादसे के दौरान अपने दोनों हाथ गंवा बैठे थे, लेकिन अपनी जिंदगी के सफर में उन्होंने कभी इसका बहाना नहीं बनाया। विवेक हर वो काम करते हैं जो हाथ वाले लोग कर सकते हैं। वो गाड़ी भी चलाते हैं और अपना ड्राइविंग लाइसेंस भी साथ में रखते हैं। ड्राइविंग के वक्त उनका एक पैर स्टेयरिंग पर होता है तो दूसरा एक्सिलेटर पर।
विवेक अब तक 20 हजार किलोमीटर गाड़ी चला चुके हैं। जल्द ही उनका ये कारनामा लिम्का बुक में दर्ज होने वाला है। हाथों के बिना गाड़ी चलाने का रिकॉर्ड विवेक के नाम दर्ज होगा।