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Fifth Ocean of the World: दुनिया को मिला पांचवां महासागर, जानिए क्या है उसका नाम

टीम फिरकी, नई दिल्ली Published by: संकल्प सिंह Updated Tue, 15 Jun 2021 11:25 AM IST
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विश्व महासागर दिवस 2021
विश्व महासागर दिवस 2021 - फोटो : Social media
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हमारी पृथ्वी का लगभग 71 प्रतिशत भाग पानी से ढका हुआ है। पृथ्वी पर जितना भी पानी है, उसका 96.5 प्रतिशत हिस्सा महासागरों में है। अब तक हम केवल चार महासागरों (प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, अटलांटिक महासागर और आर्कटिक महासागर) के बारे में ही जानते थे। अब महासागरों की संख्या चार ना रहकर पांच हो गई है। नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी ने पांचवें महासागर को मान्यता दी है। इसका नाम दक्षिणी महासागर है। दक्षिणी महासागर ही दुनिया का पांचवां महासागर है। ये महासागर अंटार्कटिका के पास स्थित है, जो पहले हिंद महासागर के भाग में आता था। इसे दक्षिणध्रुवीय महासागर या अंटार्कटिका महासागर के नाम से भी जाना जाता है। वैज्ञानिकों के इस फैसले से विश्व जगत का मानचित्र पूरी तरह बदल चुका है। आने वाले वक्तों में आप जो भी मानचित्र देखेंगे उसमें इस महासागर का नाम आपको अंटार्कटिका महाद्वीप के पास दिखेगा। यह विश्व के सबसे दक्षिणी भाग में स्थित है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी के ज्योग्राफर एलेक्स टेट ने बताया कि लंबे समय से वैज्ञानिक इस महासागर को विश्व का पांचवां महासागर मानते रहें हैं, परंतु इसे दुनिया के पांचवें महासागर के रूप में कभी अंतरराष्ट्रीय मान्यता नहीं मिल पाई थी। पृथ्वी का ये हिस्सा काफी खास है। इसे बाकी महासागरों के साथ जगह मिलनी चाहिए।
अब दुनिया के पांचवें महासागर के रूप में नेशनल ज्योग्राफिक सोसाइटी ने इसे मान्यता दे दी है। विश्व को उसका पांचवां महासागर मिल चुका है। आपको बता दें कि दक्षिणी महासागर अंटार्कटिका के तट से 60 डिग्री दक्षिण की ओर है। ये महासागर इतना बड़ा है कि इसके अंदर अमेरिका जितने बड़े दो देश समा सकते हैं।  
1999 में अमेरिका के ज्योग्राफिक नेम्स बोर्ड ने इसका नाम दक्षिणी महासागर रखा था। इस महासागर के भीतर बेहद ही नाजुक जलीय पारिस्थितिकी तंत्र पाया जाता है। यहां पेंग्विन और सील्स जैसे जीव पाए जाते हैं। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अंटार्कटिका का सरकम्पोलर करंट ग्लोबल कन्वेयर बेल्ट को चलाने के लिए बड़ी मात्रा में अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागर से पानी खींचता है।
इसके चलते पूरे पृथ्वी पर तापमान गर्म हो जाता है। इसके करंट के अध्ययन के आधार पर कार्टोग्राफर्स ने बताया है कि यह महासागर करीबन 3 करोड़ साल पहले बना था। उस दौरान अंटार्कटिका और दक्षिण महासागर एक दूसरे से अलग हुए थे। 
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