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इंडियन एयरफोर्स का नाम दुनिया की सबसे ताकतवार वायु सेनाओं में आता है, लेकिन हाल ही में एयरफोर्स के शस्त्र भण्डार में एक और नया 'हथियार' शामिल हो गया है, जिससे इसकी ताकत और भी बढ़ गई है। ये कोई फाइटर प्लेन या हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल या बंकर को तबाह कर देने वाला पावरफुल बम नहीं बल्कि एक 'गो /नो-गो पिल्स' हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार इस दवा का इस्तेमाल खासतौर पर फाइटर पायलट करते हैं इससे उनकी क्षमता में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हो जाती है। इस दवा को वायु सेना में ऑफिशियली तौर पर शामिल कर लिया गया है जिसके कोई भी साइडइफेक्ट नहीं है।
सेना ने अपने फाइटर पायलटों पर इस दवा का टेस्ट भी किया जिसके उन्हें अच्छे रिजल्ट मिले। इन दवाओं का इस्तेमाल कठिन सैन्य अभ्यासों और लड़ाई के दौरान किया जाता है। दरअसल ये दो दवाओं को मिलाकर बनाई गई है जो दो अलग-अलग तरह से काम करती है।
इन पिल्स में से पहला जिसे 'गो पिल' कहा जाता है वह मोडाफिनिल की गोली है। इसे इस्तेमाल करने से सतर्कता (अलर्टनेस) बढ़ जाती है। इसके अलावा दूसरी गोली को 'नो-गो पिल' है जिसके लिए जोल्पिडेम की गोली का इस्तेमाल किया जाता है। यह अनिद्रा को दूर करती है।
गो पिल्स जहां पायलट को कॉम्बैट ऑपरेशन के लिए तैयार करती है वहीं नो-गो पिल्स मिशन के बाद पायलट को अच्छी नींद देती है। यह कंफर्म करती है कि अगले मिशन के लिए पायलट पूरी तरह तैयार रहेंगे। फिलहाल दुनिया के लगभग सभी विमान इंस्टीट्यूट इस मेडिसिन का इस्तेमाल कर रहे हैं।
पिछले तीन-चार सालों से इंडियन एयरफोर्स भी इसका इस्तेमाल कर रही हैं। बीते साल अक्टूबर-नवंबर महीने में हुए 'लाइववायर अभ्यास' में पायलटों ने इस दवा का इस्तेमाल किया। इस अभ्यास में वायु सेना के देश में मौजूद सभी 54 एयरबेस को युद्ध जैसे हालात से निपटने के लिए अलर्ट पर रखा गया। इसमें अटैक और डिफेंस दोनों पक्ष शामिल थे।