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एक वैज्ञानिक, एक दार्शनिक, एक लेखक, एक सोच, एक शक्ति और भी न जाने क्या क्या.. डॉ ए पी जे अब्दुल कलाम के परिचय के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं। वो ऐसी शख्सियत हैं जिन्हें पूरा देश जात-पात, धर्म और राजनीति से उठकर प्यार करता हैं। आज उनकी पुण्य तिथि है, वैसे तो उनका जीवन खुली किताब हैं लेकिन फिर भी ऐसे बहुत से किस्से हैं जिनके बारे में कम ही लोग जानते होंगे, आज हम आपको उसी खजाने में से कुछ किस्से बताते हैं।
कलाम साहब बोले, मैं इस कुर्सी पर नहीं बैठूूंगा
बीएचयू आईटी के दीक्षांत समारोह का वाकया है, मंच पर स्वागत की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थी। अब्दुल कलाम कुलपति के साथ हॉल में पहुंचे, उन्होंने देखा कि मंच पर चार छोटी कुर्सियों के बीच में एक बड़ी सी कुर्सी रखी है। कलाम साहब समझ तो गए थे लेकिन फिर भी उन्होंने पूछा, कि ये बड़ी कुर्सी किसके लिए। बताया गया कि ये कुर्सी आपके लिए है, सुनते ही बिदक गए वो, कहा मैं इस कुर्सी पर नहीं बैठूंगा इस पर कुलपति को बिठा दीजिए, लेकिन कलाम साहब के रहते कौन मुख्य अतिथि की कुर्सी पर बैठता, आखिर में उस कुर्सी को हटाना पड़ा और बाकी की चार कुर्सियों के आकार की कुर्सी लगाई गई तब जाकर अब्दुल कलाम वहां बैठे।
मंच पर चढ़ते ही बिजली गुल
किस्सा 2002 का है, कलाम साहब का नाम राष्ट्रपति के लिए तय हो चुका था। उन्हें एक स्कूल में संबोंधन के लिए बुलाया गया। वो जैसे ही मंच पर चढ़े बिजली गुल हो गई, अब मैनेजमेंट वाले कुछ समझते उससे पहले वो अपनी बात के साथ छात्रों के बीच में पहुंच गए। 400 छात्रों के बीच में कलाम साहब अकेले खड़े थे और बच्चों के सवालों का जवाब दे रहे थे। इवेंट मैनेंजमेंट की सांसे फूल गई लेकिन डॉ कलाम ने उन्हे कूल कराया।