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भारतीय रेलवे से हम कितना भी सफर कर लें लेकिन हर बार इसके बारे में कुछ न कुछ नया ही जानने को मिलता है। शहर बड़ा हो या छोटा, हर प्लेटफॉर्म कुछ चीजें हर बार दिखाई देती हैं। जैसे कि चाय-चाय वालों की आवाज। स्टेशन पर इंतजार करने के नाम पर बैठे वो लोग जिन्होंने जमीन पर चद्दर बिछा ली और वहीं लोटने लगे हैं। पुलिस वाले जो बैठ के गप्पे लड़ा रहे है और कुछ लोग जो स्टेशन पर बैठकर रेलवे वालों की गलतियों भरा इतिहास दोहरा रहे होते हैं।
स्टेशन बड़ा हो या छोटा, हर जगह आपको एक पीले रंग का बोर्ड दिखाई देगा। जिस पर शहर का नाम हिंदी, अंग्रेजी और कई बार उर्दू में लिखा दिख जाता है। स्टेशन के नाम के नीचे कुछ और भी लिखा रहता है। अगर आपने ध्यान दिया होगा तो आपको दिखा होगा कि इसी बोर्ड पर शहर की समुद्र तल से ऊंचाई का भी उल्लेख रहता है। कभी सोचा है कि क्यों लिखा रहता है। अगर नहीं पता तो नीचे वाले बटन पर क्लिक करें।
आपको पता ही होगा कि दुनिया गोल है। दुनिया को एक समान ऊंचाई पर नापने के लिए वैज्ञानिकों को किसी ऐसी प्वाइंट की जरूरत थी जो एक समान दिखे। लिहाजा इस मामले में समुद्र परफेक्ट है। क्योंकि समुद्र का पानी एक समान रहता है। इसलिए लिखा जाता है समुद्र तल की ऊंचाई। लेकिन इसको लिखने का क्या फायदा। ड्राईवर और गार्ड क्या करते हैं।
मान लिजिए कि एक ट्रेन समुद्र तल की ऊंचाई 100 मीटर से 200 मीटर की तरफ बढ़ रही है तो ड्राईवर और गार्ड अपनी गणित बिठा लेते हैं कि आगे कि क्या स्पीड होगी। तारों की ऊंचाई कैसी होगी, ब्रेक मारने पर क्या हो सकता है वगैरह वगैरह... अब आप पढ़ चुके हैं, जानकारी हो गई है, दूसरे को बताएं और खुद को स्मार्ट साबित करने का मौका जाने न दें।