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हिंदुस्तानियों को 'संस्कृत' भाषा का जिक्र छेड़ने में गर्व महसूस होता है। होना भी चाहिए क्यों कि इसे दुनिया की सबसे प्राचीन भाषाओं में से एक और देव वाणी माना जाता है। लेकिन आज के समय में न के बराबर ही लोग अपने बच्चों को संस्कृत पढ़ा रहे हैं। लोगों का रुझान देखते हुए लगता है कि गौरवान्वित इतिहास होते हुए भी संस्कृत पूरी तरह से इतिहास होने की ओर ही कदम बढ़ा रही है, वो बात अलग है कि अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा अपने अध्यन में संस्कृत के प्रचीन ग्रंथ शामिल करती हैं।
आपको जानकर हैरानी होगी कि मजहब से मुस्लिम और पेशे से टीचर एक मुल्ला जी संस्कृत को जिंदा रखने की मुहिम चला रहे हैं। कौशांबी के हयात उल्लाह संस्कृत में इतने पारंगत है कि इनके आगे अच्छे अच्छे ज्ञानी नहीं टिकते हैं। इन्होंने चारों वेदों का अध्ययन किया है इसलिए वर्षों पहले इन्हें चतुर्वेदी की उपाधि भी मिल चुकी है। इसलिए इनका पूरा नाम है हयात उल्लाह चतुर्वेदी।
हयात उल्लाह को रिटायर हुए 14 वर्ष हो गए हैं लेकिन ये बच्चों को अब भी पढ़ाते हैं। संस्कृत के प्रति इनकी दीवानगी कम नहीं होती और ये कई किताबें भी लिख चुके हैं। हयात उल्लाह मानते हैं कि भाषा को मजहब से दूर रखना चाहिए। यह आज की जरूरत भी है। हयात उल्लाह की मानें तो संस्कृत भाषा के दम पर एक बेहतर हिंदुस्तान का निर्माण किया जा सकता है।
हयात उल्लाह संस्कृत के प्रचार और प्रसार के लिए नेपाल और अमेरिका आदि देशों में जा चुके हैं। भई मानना पड़ेगा इनके जज्बे को!
सोर्स- टॉपयैप्स